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________________ कृष्णकुमार दीक्षित स्वीकारवां उचित छे तेम ज न स्वीकारवा अनुचित छे एवी वात उपर भार मकवामां आव्यो छे एवा सूत्रकृतांग २.५.१२-२८ अने औपपातिक १३३ जेवा गद्यखंडमा आ दिशामां कईक शरूआत थई छे. परंतु उत्तरकाळे ए भान थयु के तत्त्वोनी आवी लांबी यादीने बनी शके तेटली टुकावीने एक घोरणरूप बनावी देवी जोइए, अने परिणामे धर्मनिष्ठ आदर्श जैन श्रावकनी सैद्धान्तिक सज्जताने वर्णवती विशेषणरूप पदावलि अस्तित्वमा आवी. धर्मनिष्ठ मादर्श जैन श्रावकना निरूपण दरम्यान आ पदावलि सौ प्रथम सूत्रकृतांग २ २.२४ मा देखा दे छे भने पळी भगवती २.५, औपपातिक २.२० अने बीजे ठेकाणे तेनी पुनरुक्ति थयेलो छे. आदर्श जैन श्रावकने नीचेना बार तत्त्वोनुं ज्ञान होय छे एम मही जणान्यु छे. (१) जीव (२) अजीव (३) पुण्य (४) पाप (५) आस्रव (६) सवर (७) वेदन (८) निर्जरा (९) क्रिया (१० ) अधिकरण (११) बन्ध (१२ ) मोक्ष क्रिया अने अधिकरण सिवायनां बधां तत्वो सुत्रकृतांग अने औपपातिकगत पेली पूर्वकालीन बे लांबी यादीओमा पण आवे छे (हकीकतमां, सूत्रकृतांगनी यादीमां अधिकरणने स्थाने अक्रिया छे), उपरांत, सूत्रकृतांगनी यादोनां बार तत्त्वोमां गणावेल वेदनतत्त्व उत्तरकालीन प्रथोमा मळतुं नथी, उत्तरकालीन ग्रंथोमां तो मात्र अगीया तत्त्वो ज उपलब्ध थाय छे. आ बधो अस्तव्यस्त देखाती माहिती नवतत्वसिद्धान्तना ऐतिहासिक मूल्यांकन माटे प्रस्तुत छ, कारण के ज्यारे निर्दिष्ट गधसंडो लखाया त्यारे आ सिद्धान्त प्रचलित न होई शके. आ सिद्धान्त प्रमाणे जैन सैद्धान्तिक मतोर्नु समग्र तन्त्र जोव, अजोव, पुण्य, पाप, आश्रव, बंध, सवर, निर्जरा अने मोक्ष आ नव तत्त्वोमां समाई जाय छे, आ नव तत्त्वो खास ध्यान न खेंचे ए रीते (बीजां तत्त्वो साथे) आ गधखंडोमां नियतपणे छे. आ गयखंडोनो सदर्भ नितरां स्पष्ट करी दे छे के ज्यारे ते गद्यखंडो लखाया त्यारे नवनवनों सिद्धान्त प्रचलित होत तो तेभोए जे हाथ आव्यां ते बों तत्त्वोनो उल्लेख न कर्यो होत पण मा सिद्धान्ते जेमने खास ध्यानपात्र बनाव्यां छे ते नव तत्त्वोनो ज उल्लेख कयों १ अमे भा विषय उपर जे कहेवाना छीए तेने ध्यानमा राखी कहेवु जोइए के म भगणन उत्तरकालीन लहियाभोनी बेदरकारीन परिणाम छे.
SR No.520753
Book TitleSambodhi 1974 Vol 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages397
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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