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तत्त्वार्थसूत्र-ऐतिहासिक मूल्यांकन उमास्वाति कहे छे (तेओ सम्यकज्ञानने नवो प्राप्ति तरीके गणे छे ए वस्तु सम्यक्दर्शन सम्यक्ज्ञान विना प्राप्त करवु शक्य छे परंतु एथी ऊलटुं शक्य नथी एवी एमनी दलील [भाष्य १ १] उपरथो स्पष्ट थाय छे ) त्यारे उमास्वाति शुं कहेवा मागे छे ते समजवु कठण छे एवं सूचन करवामां आव्यु छे के सम्यक्रज्ञानर्थ उमास्वातिने जैन शास्त्रोनु पूर्ण ज्ञान अभिप्रेत छे, अने तेम होई शके; परंतु ध्यानमा राखवान ए छे के मोक्षप्राप्तिना अनिवार्य उपाय तरीके जैन शास्त्रोना पूर्ण ज्ञान उपर भार मापयो ते जैन सैद्धान्तिक वारसानुं अंग नथी. जे बन्यु लागे छे ते तो ए छे के उमास्वातिनी नजीकना समयमा जैन सैद्धान्तिकोने ए विषमतार्नु भान थयु के भारतीय दार्शनिकोमा मोटे भागे एक मात्र तेमो ज एवा हता जेमणे मोक्षप्राप्तिना अनिवार्य उपाय तरीके सम्यक्ज्ञानने मान्यु न हतु तेमनी विशिष्ट ऐतिहासिक पश्चाद्भुमिकानी दृष्टिए जोईए तो आ संदर्भमां सम्यक्दर्शन अने सम्यक्चारित्रनो उल्लेख न करवो तेमने माटे अशक्य हतो, तेथो तेमणे ते बेमां सम्यक्ज्ञानने मात्र उमेरी दी, अने जाहेर कयु के ते त्रण साथे मळोने मोक्षनो उपाय छे. अलबत्त, ज्यारे अजैन दार्शनिकोए प्रगट कह्यु के मोक्षनो उपाय एकमात्र सम्यक्ज्ञान छे त्यारे तेओ गर्भित रीते समजता हता के आ सम्यज्ञान जैनोनां सम्यक्दर्शन अने सम्यक्चारित्र जेवां कशाकथी सहचरित होय छे, परंतु नोंधवा जेवी वात ए छे के तेमणे आ मुद्दो कदी स्पष्टपणे व्यक्त कर्यो न हतो तेवी ज रीते, जाणे के सम्यक्दर्शन भने सम्यक्चारित्र साधे मळीने मोक्षनो उपाय छे एवुजैन दार्शनिको ज्यारे कहेता हता त्यारे तेओ गर्भित रीते समजता हता के आ सम्यक्दर्शन भने सम्यक्चारित्र अजैन दार्शनिकना सम्यक्ज्ञान जेवा कशाकथी सहचरित होय छे, परंतु आ वात तेमणे खूब मोडो स्पष्टपणे व्यक्त करी, भने ज्यारे ते स्पष्टपणे व्यक्त करी त्यारे सम्यक्दर्शन पूर्वे सम्यक्ज्ञान कदी उद्भवतुं नथी परंतु सम्यक्दर्शनना उद्भव पछी तो सम्यज्ञान आपोमाप उद्भवे छे एवा जैन सिद्धान्तना कंईक लाक्षणिक मतने परिणामे मुश्केलीमो ऊभी थई
मा र ते ज, जैन ग्रंथकारो स्पष्टपणे अने स्वाभाविक रोते ज समान हता के तेओ जे विचारो उपदेशे छे तेमने विशे कईक विलक्षणता छे, परंतु आ बधा विचारो समग्रपणे समाविष्ट थई जाय एवो पोतानी कल्पनाओनो संग्रह (अर्थात् तत्त्वोनो विशिष्ट गण [ set ]) प्रस्तुत करवानी परंपरा तेमने प्राप्त थई न हती, ज्यां सैद्धान्तिक तत्त्वोनी ध्यान खेचे एवी लांबी यादी घडवामां आवी छे अने ज्यां आ तत्त्वोने