SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 107
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तत्त्वार्थसूत्र - ऐतिहासिक मूल्यांकन कृष्णकुमार दीक्षित तत्त्वार्थसूत्रना कर्ता उमास्वातिना समय (लगभग ई. स.नी त्रीजी-चोथी शताब्दी) सुधीमां जैनोए स्वीकरेला विविध विद्याशाखाओ संबंधी सैद्धान्तिक मतोनो संग्रह एटले तत्त्वार्थसूत्र. दस अध्यायोमां विभक्त तत्त्वार्थसूत्र प्रथम अध्यायमां ज्ञानमीमांसाविषयक, बीजामां प्राणीजगतना व्यावहारिक अभ्यासने लगती, त्रीनामा अने चोथामां पौराणिक लोकभूगोळ विशेनो, पांचमामां प्रमेयमीमांसाविषयक भने छथी दस अध्यायोमा आचारशास्त्रनी समस्याओ हाथ धरे छे. परंपराप्राप्त सामग्रीने गोठववा माटे तेमणे पसंद करेल खोखु - चोक? (framework) खास नोधपात्र छे कारण के प्रथम अध्यायना प्रारंभ ज तेभो जाहेर करे छे के सम्यकदर्शन, सम्यक्ज्ञान अने सम्यक्चारित्र ए त्रण मोक्षमार्गना घटको छे (१.१) अने पछी स्पष्ट करे छे के सम्यक्दर्शननो अर्थ छे जीव, अजीव, मानव, बंध, सवर, निर्जरा अने मोक्ष ए सात मूळभूत तत्त्वोमां श्रद्धा (१ २,४.). प्रथम अध्यायनो शेष भाग सम्यक् अने असम्यक् ज्ञानना निरूपणमा रोकायेलो छे. बाकीना नव अध्यायोने बे दृष्टिए जोई शकाय. ते आ प्रमाणे-कोइ कहो शके के बेथी पांच अध्यायो सम्यक्ज्ञानना शक्य विषयो कया होई शके ते आपणने जणावीने ज्ञाननिरूपणने ज आगळ धपावे छे, ज्यारे छथी दस अध्यायो सम्यक् चारित्रनुं निरूपण हाथ धरे छ; अथवा तो कोई कही शके के बेथी पांच अध्यायो जीव अने अजीव ए बे तत्वोनु, छटो अध्याय आस्रवतत्त्व, आठमों अध्याय बंधतत्त्वन, नवमो अध्याय सवर अने निर्जरा तत्त्वोर्नु अने दसमो अध्याय मोक्षतत्त्वन निरूपण करे छे, (सातमा अध्यायनी स्थिति आ रीतिथी विरुद्ध छे कारण के ते अंशतः मानवविषयक समस्यान अने अंशतः सवरविषयक समस्यानु निरूपण करे छे). गमे तेम पण, कोई पण व्यक्ति ऊपर एवी छाप अवश्य पडवानी के सम्यक्दर्शन, सम्यज्ञान अने सम्यक्चारित्र आ त्रण साथे मळीने मोक्षनो मार्ग बने छ ए मंतव्य तेम ज सम्यदर्शन एटले जीव, अजीव, आखव, बंध, संवर, निर्जरा भने मोक्ष मा सात तत्त्वोमां श्रद्धा ए बनेय मंतव्य जैनो प्रारंभथी ज धरावता होवा जोईए, भने तेम छतां हकीकत तो ए छे के आ बेय मान्यताओ उमास्वातिना समयमां नवो हती आ बन्ने मान्यताओनो क्रमशः विचार करीए.
SR No.520753
Book TitleSambodhi 1974 Vol 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1974
Total Pages397
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy