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श्रीवर्धनानसूरिविरचिता
विमल विमलिय-सयल-जय-जीव भत्तिभर-नर-वर-खयर- अमर-रमणि-मुह-घुसिण-रंजिय- । पय-कमल कलि-मल रहिय रम्म धम्म विसएहि अ-गंजिय ॥ इंदिय-तुरय-तुरंगमहँ रुद्ध-कुमग्ग-पयार । सिद्धि-पुरधिहि वच्छयलि घोलिर-निम्मल-हार ॥
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कणय-मंदरि विहिय-अभिसेय सुर-सुंदरि-ललिय-कर- कुडव-कुंद-मंदार-पूइय । सुजमोथैर-सर-नलिण- रायहंस वर-सुमिण-सूइय ॥ अव्वावाह अरूव रस अरुय अगंध अफाप्त । जयहि अणंत अणंत-मुह जिणवर भुवण-पयास ॥
चवण-रंजिय-सयल-सुर-लोय निय-जम्म-संजणिय-जण- मण-पमोय जय-जीव-सुह-कर। निक्खमण-रंजिय-भुवण भुवण-भाणु कंकेल्लि-सम-कर ॥ धम्म-धुरंधर धम्म जिण संपाविय-सुह-ठाण । सुव्ययदेविहि अंगरुह सासय-सोक्ख-निहाण ॥
जेण साहिय निय-पयावेण अक्खंड-छक्खंड महि जेण तियस निय-सेव कारिय । माणुन्भड ईयर रणि जेण जिणिवि निये-मुह जुयाविय ॥ दहि वि पयारिहिं चक्कवइ तिहुँयणि जणियाणंदु । पणय-सहकरु संतिकरु पणमहु संति-जिणिदु ॥
१ मंदिर पा० ॥ २ व्यरसुरनिलिण' जे० ।। ३. सुह-यर पा०॥ ४. खररयणि जेण जे०॥ ५. निय-महुमहु जुया जे०॥ ६ तिहुअणि पा०।।