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________________ गौतमभाई पटेल ७ मा अंकमां वयमपि अवतराम एम मातली कहे छे पछी तथा करोति एम रङ्ग. सूचन छे, आ न होय तो पण नट उतरवानो अभिनय करवानो ज ने ! भूर्जपत्र प्रसंगनी एक हकीकत नोंधपात्र छे, राणोना नपुरना अग्रभागने लागेल भूर्जपत्रने निपुणिका उपाडीने ते अविरुद्ध होवाथी राणीने वांची संभळावे छे पछी अत्राने नैवोपायनेनाप्सर कामुकं प्रेक्षे (विक्रम ० ३८) अहीं राणीए निपुणिकाना हाथमाथी ते लई ली, एम कहयुं नथी. राजा पासे पहोचीने आर्यपुत्र ! अलमावेगेन । एतत्तद भूर्जपत्रम् एम कहे छे, आ राणी पासे कांथी आव्यु ? कोई कहे निपुणिका पासे हशे अने राणीए हाथना इशाराथी बताव्युं हशे, पण एवं रङ्गसूचन नथी भने पछीना समग्र वार्तालाप दरम्यान कयाय निपुणिकानो निर्देशमात्र नथी, केवळ अंतमां सपरिवारा निष्क्रान्ताः मां तेने गणी लेवानी रही. आटली टीका करवानुं मन ए माटे थाय छे के अन्यथा निर्देशक के सूत्रधार पण भूल करी बेसे तेवा प्रसंगे कवि खास दरकार लईने सूचनो आपे छे, दा. त. शाकु० अंक ७ मां बाला-देवतव (हस्तं प्रसारयति) मा 'ए आपो' कहेनार बाळक हाथ लंबावे ए स्वाभाविक छे. छतां हस्तं प्रसारयति सूचन करे छे, कारण तेना हाथना चक्रवर्तिनां लक्षणो राजाने देखाडवा छे. कालिदास पोतानुं नाटक तख्तापर केवी रीते भजवाय ए माटे आटली हद सुधी सभान होवा छतां तेना नाटकोने मजवनारा घणी गंभोर भूलो करी बेसे छे. दा. त, शाकु० ना ५ मा अंकमा राजा दुष्यंतने आसनस्थ बतावाय छे. ज्यारे राजा-(अवरुह्य परिजनांसावलम्बी तिष्ठति । अने पुरोहित:-भोस्तपस्विनः असावत्रभवान् वर्णाश्रमाणां रक्षिता प्रागेव मुक्तासनो वः प्रतिपालयात आम राजा ऊभो रह्यो छे, आम स्पष्ट विधान छतां आधुनिक निर्देशको राजाने आसन पर बेसाडी शकुन्तलानु प्रत्याख्याननु नाटक भजवे छे, आमां कालिदास अने राजादुभ्यंत बनेने अन्याय छे. अतिथि अने तेमाय महर्षि कण्वना आश्रमना अतिथिमंडळने आसन आप्या विना पौरवंशप्रदीप दुष्यंत बेसे पण खरो ? समग्र चर्चा- तारण ए छे के कालिदासे रङ्गमंचयोग्यता अने अभिनेयताने मनःचक्षु समक्ष राखीने पोताना नाटकोनुं सर्जन करेल छे. तेमां भरत मुनिना नाट्यशास्त्रना ए सूक्ष्म अभ्यासी छे. तेमनो समय अने समाज पण भरतना नाटयशास्त्रना सिद्धान्तोने समजनार अभिरूपभूयिष्ठपरिषदद्वाळो हतो. माल० अने शाकु० ना रङ्गसूचनोनो तुलनात्मक अभ्यास दर्शावे छे, के माल० मा निष्क्रम्य
SR No.520752
Book TitleSambodhi 1973 Vol 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1973
Total Pages417
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size14 MB
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