SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 58
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गौतमभाई पटेल छे त्यां कालिदासे 'ब्रीडा' शब्द वापर्यो छे. आ तेनुं भरतना नाटयशास्त्रनुं सूक्ष्म ज्ञान दर्शावे छे. केवळ एकवार शाकु० ना ३ अंकमां शकुन्तला सलज्जा तिष्ठति । एवं रंगसूचन छे. अहीं लज्जानो मानसिक भाव लेखक दर्शावी रह्या छे, ते माटेनो विशिष्ट अभिनय तेओने दर्शाववो नहि होय. अन्यथा नीडां रूपयति एवं कांइक महोत. कळी तेओना ११०० थी वधु रंगसूचनोमां कयांय सलज्जम् के लज्जा रूपयति जेवो प्रयोग नथी. आ दर्शावे छे के कालिदास भरतना नाट्यशास्त्रथी सुपरिचित हो. शाकुल ना ५ मा अंकमां शकुन्तला भीता वेपते अने ६ट्ठा अंकमा पुरुषःभीत नाटयति त्यां भीति अथवा भयनो निर्देश छे. गुरुजनना अपराधथी रौद्रवस्तुनुं दर्शन अवाथी के घोर वस्तुनुं श्रवण थवाथी भय जन्मे छे, एवं भरतमुनि माने के." शकुन्तलानो भय गुरुजन्ना अपराधथी जन्म्यो छे, माछीमारनो राजाना अपराधने कारणे छे, अप्राप्यनो प्राप्ति थतां, प्रियसमागम अथवा हृदयगत मनोरथनोअम क्ता मनुष्यने हर्ष उद्भवे छे, तेनो अभिनय नयन, वदननी प्रसन्नता, मधुरभाषा, आलिंगन, रोमांच अने ललित विहार वगेरेथी करवो जोईए," कालिदासमां अनेक स्थळे 'सहर्पम्' नो निर्देश मळे छे, जेमके शाकु० ३ अंकमां परिक्रम्य सहर्षम्-अये लब्धं नेत्रनिर्वाणम् । अहीं प्रियजननी प्राप्ति हर्षन कारण छे, विक्रम ० मा २ अंकमां भुर्जपत्र प्रसंगमा नास्त्यगतिमनोरथानाम् कहीने गृहीत्वानुवाच्य सहर्षम् एम कहे छे. अहीं एक साथे ऋण रङ्गसूचनो छे, गृहीत्वा-लईने, अनुवाच्य-पछी वांचीने अने इच्छित लाभ थयो होय तेम सहर्षम् जणाव्युं छे. भरतमुनिना नाट्यशास्त्रमा १२मो अध्याय विविध गतिओनुं वर्णन करे छे. स्या उद्भ्रान्तक नामनी अनेक गतिनुं वर्णन छे, शाकु० ६ द्वा अंकमां सानुमती माटे उद्भ्रान्तकेन निष्क्रान्ता एवं लख्यु छे, अहीं उद्भ्रान्तक एक विशिष्ट प्रकारनी गति छे ते नहि समजनार आनो अनुवाद Exit by Jump अथवा Exit by Aying through the sky करे छे, ते वास्तवमा नितान्त भ्रान्त छ, संस्कृतनाटकमां ते पछी कालिदासमां के अन्यत्र ततः प्रविशति रथस्थो राजा के रथेन राजा एम भावे एटले रगमंच पर रथ आवे छे एवं मानी नथी लेवानु पण रथस्थ दर्शाववानी एक विशिष्ट गति छे. ए रीते चालतो राजा के सूत रङ्गमंच पर आवे एटले समजी १०७-१२-१३-२४ ना. शा. "मा. शा. s.
SR No.520752
Book TitleSambodhi 1973 Vol 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1973
Total Pages417
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy