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________________ कर्पूरमंजरी अने स्वामिभक्त सेवकनु कथाबिंध ___ २३ प्रकारनां विंबनां कथानको प्रयोजायां छे। कर्पूरमंजरी एवा पात्रनाम साये मुळभूत रीते संकळायेलं बिंब कयु होई शके, एनुं चोक्कस अनुमान की शझाय एम नथी । शिल्पदृष्टा सुंदरीनी लोकपरंपरानी कथाने मतिसारे के ए पहेलो कोई मध्यकालीन वार्ताकारे कर्पूरमंजरी साथे सांकळी होवानी संभावना छ । शिल्पदृष्टासुंदरीनी लोकपरंपरानी कथा तो अत्रे चर्चेला बोटाद विस्तारनी 'चालोने पतळो आपणे घेर' वाळी लोककथामां अकबंध जळवायेली छे । कथासरित्सागरमां राज्यधर अने प्राणधर नामना यांत्रिक साधनो बनाववामां कुशळ एवा भाईओनी वात छे अने त्यां पात्रनाम कर्पूरिका छे । आथी संभव एवो छे के कर का साथे संकळायेला यांत्रिक हंस अने सुतारनी कुशळताना कथानको करमंजरीना नामे मतिसारे के ए पहेलांना कोई वार्ताकारे साथे सांकळोने तथा एमां चार घातवाळा कथानकने उमेरीने एक विशेष रोचक कथानक घड्यु होय । बे प्रवासी मित्रो अने एकनो मोह अने बीजानो प्रयत्न । कथाबिंब मध्यकालीन गुजराती कथासाहित्यमां जाणीतुं छे । शिवदासे हंसावलीनी कथामा (र.सं. १६७०) उत्तर अने सोमनी वात लखी छे । कांतपुरमा प्रधाननी पुत्री प्रत्ये उत्तरने मोह थयो । सोमे खूब समजाव्यो पण न मान्यो अने वियोगमा भृत्यु पाम्यो । आ सांभळीने प्रधानपुत्री पण मृत्यु पामी । अही प्रत्यक्ष दर्शन छे ज्यारे ए घटना शिल्पदृष्टा साथे सांकळीने एमांथी रोचक कथानक घडायु छे । कर्पूरमंजरीना कथानकनी सामग्रीनी चर्चा करतां डॉ. भी. ज. सांडेसराए कथासरित्सागरनी कर्पूरिकाना कथानकनी पण चर्चा करेली छे । कथासरित्सागरना रत्नप्रभारंभकना आठमा अने नवमा तरंगमां आ प्रमाणे कथा छे : नरवाहनदत्त अने गोमुख दडे रमता हता । दडो एक तापसीने वाग्यो। तापसी बोली के अत्यारे तुं आवो छे ने एमां जो कर्पूरिका जेवी पत्नी मळे तो तो शुं न करे ? नरवाहनने कपूरिका विपे उत्कंठा थतां तापसीनी क्षमा याची पृच्छा करी । तापसीए कहयुं के दूर दूर दरियापारना करसंभव नगरमां कर्पूरक राजाने कर्पूरिका नामनी सुंदर पुत्री छे । ए पुरुषद्वेषिणी छे एथो कोई साये लान करती नथी । आ सांभळी नरवाहन अने गोमुख दक्षिण तरफ रवाना थया । बन्ने समुद्र किनारे आवेला जीवित मानवी वगरना काष्ठयन्त्रना पतळांवाळा विचित्र नगर सुवर्णपुरमा आव्या । राजभवनमा काष्ठना प्रतिहारीवडे रक्षागलो एक भव्य पुरुष बेठो हतो। ए पुरुषे पोतानी वान आ प्रमाणे कहो :
SR No.520752
Book TitleSambodhi 1973 Vol 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1973
Total Pages417
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size14 MB
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