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________________ के. रिषभचन्द्र (५) पुरुषार्थ : अर्थकथा, कामकथा, और धर्मकथा... (६) अ. पात्रों का सामाजिक स्तर : ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, जंगलीजाति और अन्य जाति. (७) ब. अनेक धन्धे, कार्यकलाप, संघर्ष और अन्य विशेषताएँ. (१) पूर्णकथा, खंडकथा और कथांश जिन कथाओं में नायक का करीब करीब सम्पूर्ण जीवन-चरित प्राप्त होता है उन्हें 'पूर्णकथा' की कोटि में रखा गया है । उनकी संख्या ६ के करीब है और इस कोटि में कथा नम्बर (१), (२), (३), (४), (५) और (९) रखी जा सकती है । नायक के जीवन के कुछ भाग अथवा अधिकांश भाग का जिसमें प्रतिपादन हुआ है उन्हें खंडकथा को कोटि में स्थान दिया गया है। इस कोटि में १३ कथाओं का समावेश होता है जिनका नम्बर (७), (१०), (११), (१३), (१४), (१५), (१६), (१८), (२०), (२१), (२२), (२३) और (२४) है । ऐसी कथाएँ जिनमें आंशिक जीवन के दर्शन होते हैं अथवा जो बहुत ही संक्षिप्त रूपमें पूरी की गई हैं उन्हें कथांश की संज्ञा दी गई है । ऐसी कथाओं की संख्या ६ है और उनका नम्बर (६), (८) (१२), (१७), (१९) और (२५) है । (२) पूर्व-भवकथा, आगामी-भवकथा, उपकथा और दृष्टान्तकथा पात्रों के पूर्वभव से संबंध रखने वाली कथाओं की संख्या १० है जिनका नम्बर (१), (२), (३), (४), (५), (७), (११), (१४), (१८) और (२१) हैं । आगामो-भव की ६ कथाएँ हैं जिनका नम्बर (१९), (२०) (२२), (२३), (२४) और (२५) है । उपकथाओं की संख्या ७ है जो मुख्य कथा की उपजीव्य कथाओं के रूप में आती हैं । उनका नम्बर (९) (१०), (१२), (१३), (१५), (१६), और (१७) है । दो कथाएँ नंबर (६) और (८) दृष्टान्त कथाएँ हैं जो क्रमशः 'भव्यत्व' और 'निदान' को समझाने के लिए कही गई हैं। (३) मानुपी, दिव्य, दिव्यमानुषी और पशु-पक्षीकथा ___ मानुषी कथाओं की संख्या १५ है । उनका नम्बर (१), (२), (३), (४), (५), (६), (७), (११), (१४), (१६), (१८), (२०), (२१), (२४)
SR No.520752
Book TitleSambodhi 1973 Vol 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1973
Total Pages417
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size14 MB
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