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कुवलयमाला - महाकथा की
अवान्तर कथा और उनका वर्गीकरण डॉ. के. रिषभचन्द्र
कुवलयमाला की महाकथा में अनेक अवान्तर कथाएँ उपलब्ध होती हैं । अनेक पात्रों के देवलोक में उत्पन्न होने और वहाँ पर अपना जीवन व्यतीत करने के प्रासंगिक उल्लेखों को स्वतन्त्र कथानक की दृष्टि से अनुपयोगी समझ कर उन्हें छोड़ देने पर अन्य अवान्तर कथाओं की संख्या पच्चीस के करीब होती है जिनके नाम नीचे दिए जा रहे हैं ।
अवान्तर कथाओं के नाम
(१) चंडसोम, (२) मानभट, (३) मायादित्य, (४) लोभदेव, (५) मोहदत्त, (६) काकोदुम्बरी ( काउंबरी के फल ), (७) ताराचंद का निदान, (८) रण्यभूषक, (९) मुनि सागरदत्त, (१०) शेठ महाधन की पुत्री, (११) ब्राह्मण यज्ञसोम, (१२) यक्ष जिनशेखर एवं कनकप्रभा, (१३) राज - पोपट, (१४) श्रीमती और सिंह, (१५) वनसुन्दरी एणिका, (१६) भिल्लाधिपति दृढपरिघ, (१७) मुनि भानु, (१८) कुलमित्र - घनमित्र, (१९) राजकुमार पृथ्वीसार, (२०) मणिरथ कुमार, (२१) सुंदरी और गजेन्द्र, (२३) वज्रगुप्त, (२४) स्वयंभूदेव और विभिन्न पहलुओं और दृष्टियों के आधार पर इन निम्न वर्गों में किया जा सकता है,
प्रियंकर, (२२) काम
(२५) महारथ कुमार । कथाओं का विभाजन
जैसे
(१) सम्पूर्ण अथवा आंशिक जीवन : पूर्णकथा, खंडकथा और कथा.
(२) सहायक और उपजीव्य कथा
उपकथा, दृष्टान्त कथा, पूर्व-भव
कथा और आगामी -भवकथा. (३) पात्रानुसार : मानुषीकथा, दिव्यकथा, दिव्यमानुषीकथा और पशुपक्षी
कथा.
(४) कथनकार स्वयं कथाकार - कथित और पात्रों द्वारा कथित (आत्म1 कथा) अथवा अन्य पात्र (व्यक्ति) कथा.
संबोधि २३