SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 250
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्राचीन उपनिषदों को दार्शनिक चर्चा इन प्राचीन उपनिषदों के उन भागों की उपेक्षा करेंगे जिनका सम्बन्ध दार्शनिक प्रश्नों से नहीं, ऐसे भाग परिमाण में विशेष अधिक नहीं लेकिन उनकी उपस्थिति की बात ध्यान में बनी रहनी चाहिए |) प्राचीन उपनिषदों में प्रश्नों की चर्चा की शैलियां दो हैं - एक वर्णनात्मक, दूसरी संवादात्मक और एक छोटे से ऐतरेय को छोड कर - जो पूरा वर्णनात्मक शैली वाला है - सभी में दोनों ही शैलियों वाले भाग हैं । उन उन संवादों में प्रकट होनेवाले व्यक्ति ऐतिहासिक व्यक्ति हैं यह सिद्ध करने के लिए भी कदाचित् प्रयत्न की आवश्यकता पड़ेगी, लेकिन यह सिद्ध करने के लिए तो प्रयत्न की आवश्यकता पड़ेगी ही कि ये संवाद सचमुच तथा ज्यों के त्यों घटित हुए हैं । यदि भारतीय साहित्य का समूचा उत्तरकालीन इतिहास इस सम्बन्ध साक्षी हो सकता है तब तो कहना होगा कि ये सभी संवाद न्यूनाधिक मात्रा में कल्पनारंजित हैं (जिन संवादों में इन्द्र तथा प्रजापति जैसे देवता भाग ले रहे हों उनके ऐतिहासिक होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता ) | लेकिन स्पष्ट ही यह परिस्थिति - जिसे अन्य कारणों से शोचनीय माने जाने का अपना औचित्य है - प्रस्तुत संवादात्मक ग्रन्थ-भागों में भाई चर्चाओं का मूल्यांकन करने में हमारे लिए कोई बाधा खड़ी नहीं करती । इस सम्बन्ध में सचमुच बाधा खड़ी करनेवाली परिस्थिति यह है कि संवादात्मक तथा वर्णनात्मक दोनों ही शैलियों वाले ग्रन्थ-भागों में सामग्री किसी नियम के अनुसार व्यवस्थित की गई नहीं प्रतीत होती । हां, विचार करने पर प्रस्तुत प्रायः पूरी सामग्री को निम्नलिखित ६ भागों में बांटा अवश्य जा सकता है : (१) वे चर्चाएं जहां शरीर-शक्तियों के बीच प्राण की श्रेष्ठता प्रतिपादित गई है। (२) वे चर्चाएं जहां शरीर-शक्तियों की तुलना में आत्मा की श्रेष्ठता प्रतिपादित की गई है । (३) वे चर्चाएं जहां शरीरस्तरीय घटनाओं को विश्वस्तरीय घटनाओं के समानांतर रखने का प्रयत्न हुआ है; (इस कोटि की चर्चाएं प्रायः सर्वत्र पूर्वोक्त दो में से किसी एक कोटि की चर्चा के साथ अविभाज्य रूप से जुड़ कर आती हैं) । (४) वे चर्चाएं जहां पुनर्जन्म तथा मोक्ष की वर्णन हैं (अथवा मोक्ष की प्रक्रिया का स्वतंत्र वर्णन है ) । प्रक्रियाओ का तुलनात्मक
SR No.520752
Book TitleSambodhi 1973 Vol 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1973
Total Pages417
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy