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________________ રમ गांधर्वां रक्ति साथै एकरस थई जतुं खूब ज सुमधुर वरताय छे. * मारा मते स्वरसाधन माटे दाक्षिणात्य सरस्वती - वीणा जेवु बीजुं एके उत्तम साधन नथी. आ वीणा पर सधाती श्रुतिओ अयन्त स्पष्ट तेम ज साचा स्थान पर बेसे छे. अने स्वर झंकृत बनी वायुमंडळमां व्यापी रहे छे, ने विशेषमां आ अनुरणनमय स्वर हृदयंगम बनवा उपरान्त तेमां अद्भुत चेतस् पण अवतरे छे. 'रक्ति' ए केवल कंठनो ज गुण छे के वाद्योनो पण खरो ? वाद्योमां 'वंशी' ए स्वतः रक्त वाद्य छे. एना सूरिला स्वरो शरणाईनी जेम सहजरंजक छे. बंसीना आ गुणविशेषनी पुष्टि कर एक प्रमाण " संगीतसमयसार " मां 'सुराग' नी व्यायामां मळे छे: यस्य वंशध्वनौ स्निग्धे समीची रक्तिरूर्जिता । वांशिकगीततच्चज्ञाः सुरागं कथयति ताम् ॥ - संगीतसमयसार, २. वंशीनी जेम बरोबर मेळवेली, अंगुलीथी बजती उत्तम काष्ठनी वीणाओ पण स्वयं सुरिली छे. पण कंठानुगत संगतिनी वीणाओ - सारंगी अने बेला (वायोलीन)मां शरीरवीणा', 'गात्रवीणा' एटले के मानव कंठनी जेम रक्ति बहु महेनतथी उतरे अने बधाजवादको ते मेळववा भाग्यशाळी नथी होता, उत्तरमां म० उस्ताद बुन्दुखांनी सारंगीमां ज्योतिर्मय रक्ति देखा देती. दक्षिण, के ज्यां सारंगीने स्थाने बेलानो प्रचार छे अने ज्यांना वेलावादको उत्तरनां बेलावादकोथी अधिकारादि अनेक बाबतोमा चढीयाता छे, त्यां पण सुरक्त बेलावादन आजे तो स्व० द्वारम् व्यंकट स्वामी नायडुना शिष्य मारल्ला केशव राव, अने चन्द्रशेखर तेमज एम. एस. गोपालकृष्ण सरखा वादको छोडतां भाग्ये ज जोवा मळे छे. 'रक्ति' ए कंठना शास्त्रकथित गुणोमां अग्रिम गुण छे. अन्य गुणोमां 'मधुर' 'स्निग्व', 'घन', 'श्रावक' अने 'स्थानक - शोभन 'नो समावेश थाय छे.' २६ आ अन्य गुणो रक्तिने अनुमोदक, पुष्टिकर छे अने एथी कण्ठने के वाद्यने सविशेष श्रवणप्रिय बनावी दे छे; पण गानने दिव्य भूमिका पर मूकवाने तो ( काकुप्रयोगनी सहायथी) केवळ 'रक्ति' ज समर्थ छे. गांधर्वमां ' रक्ति' नुं स्थान सर्वोच्च होई, बेसुरी तेम ज आसुरी तानो भने जोड झालाथी राची रहेता ने क्षणे क्षणे रक्तिभंगथी व्याप्त आजनां हिन्दुस्तानी कंठ्य तेमज वाद्यसंगीत प्राचीन संगीतमीमांसको अने गांधर्वस्मृतिका रोना दर्शन भने उद्बोधनमांथो घणुं शोखवानुं छे, -
SR No.520752
Book TitleSambodhi 1973 Vol 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1973
Total Pages417
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size14 MB
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