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________________ २४ मधुसूदन ढांकी रक्ति: स्वभावतज्ज्ञैः क्षेत्रका कुर्महीतले । - सङ्गीत समयसार, २. १०२ दक्षिणमां श्रीमती एम. एस. शुभलक्ष्मी, श्रीमती नीलम्मा कडम्बी आदि परम सूरिला कंठवाळो गायिकाओना गानमा रक्तिसभर काकुनी बहुलता जोवा म छे, हिन्दुस्तानी संगीत परम्परा अनुसरनार उत्तम गायकोनां कंठ स्निग्ध, मधुर, सौकुमार्ययुक्त छे खरां पण तेमनो नाद बलत्वमां कंईक कम रहे छे अने रक्त एटला प्रमाणमां थोडी झांखी रहे छे. उलट पक्षे कर्णाटक संगीतना उत्तम कंठी गायक-गायिकाओना नाद एकशील-घनशील, गंभीर अने नाभिजन्य, तेम ज मूलाधार - प्रतिष्ठित अने एकदम खुल्ला कंठना होवाथी तेमां घंटारव शुं अनुरणन अने साये ज अत्यंत प्रभावशाली रक्ति व्यंजित थती अनुभवाय छे. द्राविडो संगीतनो कंपायमान स्वर आंतर-श्रुतिओना प्रदेशमां पहोंची तेनो सूक्ष्म स्पर्श करती होई, ते क्रियाना फळरूपे तेना उगमनी साथै ज त्यां सहसा अनुनादनिनादनी लीला उदभवे छे. जेना प्रभावे ते प्रकाशमान बनी झगी ऊठे छे. स्व० वसंत कोकिलम्, श्रीमती एम० एस० शुभलक्ष्मी, रायप्रोलु जानकी, श्रीमती एम० एल. वसंतकुमारी चोकम्मा इत्यादि गायिकामना कंठ उत्कृष्ट दीप्त- रक्ति घरावना होवानुं जाणीए छीए. 'रक्ति' ए माधुर्य, स्निग्धता, मार्दव इत्यादि गुणोथी स्वतंत्र, महद अंशे विशिष्ट, अने आजे तो प्रमाणमां विरल कही शकाय तेवो गुण छे. रक्तिनो आवि fe एकदम साचां श्रुतिस्थान पर लागता नादने कारणे, अने त्यां सामान्य करतो कई विशेष सघन अने स्थायी अनुरणनने कारणे थाय छे. पलुस्कर जेवा केटलाक कंठमां आ गुण सहज-स्वभावी, निसर्गदत्त हतो, पण घणावरा किस्सामा मूलगत माधुर्य रियाझ द्वारा संक्रमीने ' रक्ति' मां परिणमे छे. साधन - परंपराथी 'तंबूर' किंवा 'तानपूरा' पर थाय छे. तानपूरो पण वीणानो एक प्रकार छे. वर्तमान स्वरूपे ते बहु प्राचीन नथी, पण तेनां मूळ 'सुधाकलश गणिए (चौदमां शतकनो मध्यभाग) कहेल 'देववीणा' नामनी 'नादपूरित वीणा म आ रियाझ - स्वर 23 साघन नथी. ए. हे रहेला होवां जोईए. (तानपूरो कई 'तान' पूरवा माटेनुं 'नाद' भरवा माठेनुं यंत्र, अघी 'तंबूरने तानपूरो नही पण घटे.) प्राचीन काळे 'वीणा' शब्दथी घणा • प्रकारनी विवक्षित हतां; तेमां मोटां भागनां, जेवांके 'स्वरमंडल', 'मत्तको किला', 'चित्रवीणा 'नादपूरो' कहे वे' तंत्रीओ-तंतुवाद्यो
SR No.520752
Book TitleSambodhi 1973 Vol 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1973
Total Pages417
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size14 MB
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