SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सागरचंद-राउ मन-जवणि घिर-चित्तो ते देक्वहि रावणु अवमान-कर जुत्तो भीयह भीसावणु ॥१५१ बहु उवसग्गु करहिं ते घोर तह-वि हु मणु न चलइ जिह मे[13B]रु || कद-वि गल वंधेवि अक्खमाल हरती दससिर बलदु भणेवी मूलहि वीकती ॥१५२ अन्ल पुणु तमु माया-पियर कलुणु चवतां दसहि नियडइ ॥ सहु अतेउर तामु भइ निरु नेहाउल विलवह पामे पामु वन्नरह भयाउलु ॥१५३ रोयड मदोयार विलवती 'देखि देव म. वत्थ-विउत्ती ॥ कि-वि गंजहि तुहु रोहु अन्नि हरहि निरुत्तउँ कि विजाए करेसी जणवए वीगुत्तउ' ॥१५४ तो-वि न चलिउ चीतु दढ-सत्तह छम्मासा उत्सग्ग सहतह ॥ तकवणे सिद्धिय विज्जा आवइ तसु पासे पभणइ 'काइँ करेमी महु दइ आएसु' ॥१५५ सो भाएसइ विज्ज वियक्खणु 'रणमुहे मारि स-सेन्नउ लक्खणु' ।। पउ मुणेवि कुमारा सहु नट्ठा तक्खणि' राहवु रोयइ कल्लणु महि पडियइ लक्खणि ॥१५६ मुग्गीवाइ-मडेहि निवारित 'भत्थि उवाउ देव सु-विसारउ ॥ अस्थि विसल्ला नाम कन्ना-रयण वरु नामु सलिल फुसियगो जीवइ लक्खणु भड' ॥१५७ १५२. १ अक्षमाल ६ वनरह १५४.० देखि, पर्थ ६ वीगुत्तओ १५६ १. विमा १ ससेनभो सखणु ३ कुमारो ५ तखणि, ६ पडेयए लखणि १५७ २ मथि मामो. अविसारमो ३ अथि १ कमा, पर ६. लखणु
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy