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मेल्लर सर जालाओ
नाव विहीम भाया
रावणु भइ-वलियउ अहिमुहु तह चलियउ ॥ १३८
वि पण दहवयशृ
"किहु आसन्नमरण ||
आमा दिदि-पराओ अनयारि विहीसण
नाई जुन
मार
भाया समरगणि' ॥ १३९
ताव विहीणि
'म मरि भाइ
इदड-पमुहाण
महि जीवित देव विरम सकिरेही मन्नह महु चयण' || १४०
जावेव विवि वयणहि
ताव विहीणु छाउ वाणहि ॥
अलि-उल कज्जल-वन्नो उत्तम महानरु
ता देक्खह निय पुरओ सुहडउ लच्छीहरु ॥ १४१ पण रावणु ' ओसर वाला
सहिवि न सकिसिमहु सर जाला ॥
जाहि वणे फल भुजे को रणि अहिगारो लक्खण अमलिय-माणो माह ससारो' ॥१४२
च वयणु
त् अ-सरणु ॥ [ 12 B]
पण लक्खणु 'गजिसि काइ जाइलेविणु दम वि सिराइ ॥ मु[िय] सुमरेवि रावण सुर-सत्ती सा दिड वच्छयलो
पडियउ सोमित्ती ॥ १४३ पडियउ देक्खिवि महियलि लक्खणु रामु समुट्ठि समर - विक्खणु ॥
सुणि सेणिय रणु अइसो न-वि सुयउ न दिउ रहु-रावण-रायाण वित्तु अणिउ ॥ १४४
सागरचंद र
१३८ ३. मेल, ४ वलियओ ६ चलियओ १३९ १ देखे २ आसनउ मरणु १४० २४ इद १४११ मिखवयभो पाहि ३ बनो ५ देखइ ६ सुहडमो १४२. ५ सुयमो, दिओ ६ भडिभो
लवण १४३ ३ मुक्के १४४ ४