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________________ सागरचंदराव देक्सिवि-मग्ग: सेन्नु उट्ठह हणुयतो बहु पहरण मेल्लतो सुहडा घायतो ॥१२५ के वि हया दढ-मुद्रि-पहारहि अन्न मुया तमु निव्वर घायहिं ॥ बहु-पहरण जजरियउ देविखव निय-सेन्नू घणवाहण ईदइया उट्ठइ कुभयन्नू ॥१२६ जुम्महि ते रक्खस भइ-वलिया तावह नासहि वन्नर भीया ॥ तावुटुइ सुग्गीवो बहु-वन्नर-लक्खहिं" भामडल-कुमुपहिं पवणाइ-सपक्खहिं ॥१२७ जुम्महि अवरोप्परु मच्छरिया निय कित्तिहि खंडण-भय-भीया ।। भावडिया पर्सरता असि-[11B] तोमर-घायहि सत्यस कुत-असेहि मोग्गर-संघायहि ॥१२८ तावहँ ताहि उच्छलियउ रेणु अच्छाहउ गयणीयले भाणु ॥ मयगल हरिण-भडाण तुरया तुरयाण रह मामिट रहाण सुड्डा सुहडाण ॥१२९ के-धि भडा जग्जरिय-सरीरा लेहि महिलि गय तोणीरा ॥ म्वणि खणि खगह सहो हण हण मणुयाण हाहानउ उट्टेई सरण न नराण ॥१३० के-वि भडा घण-घाय-विमारिय जुम्महि अज-वि पहु-सम्माणिय ॥ के वि महा गय-जीहा लोट्टहि महि-वढे उद्विय-वइस करती निय-पहु-कज्जठे ॥१३१ १२५. । यि ५ मेलो १२६ २. अन्न ५ देखिषि, सेनू ६ कुभयन २१७ मरम्बाहि १२८ २ कोप्तहि., ३. पसरता ५ जाहिं ६ मोगार. १२ वर्ष उमेयमो १३० २. गाणीरा. ३ सदो. १३१ २ संमाणिय
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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