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सीयाहरण-रासु
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'अच्छहिँ कुसलहिँ राहव-लक्खण
देवासुर-नर-नयणाणदण ॥ सामिणि चडि महु खधे गम्मइ आवासे जेण मुहुत्तह मज्झे नेमि राहव-पासे ॥८.
तावुच्चइ सीयाए हणुउ वि
'अगि न लग्गइ महु नरु को-वि ॥ एक्कु जि मेल्लिवि रामो दसरथ-निव पुत्तो विहसिय-सयवत्ताभो सुललिय-गुणवतो ॥८१
नियमु लएविणु सीयाएवी
जिण-सिद्धाइहिँ सक्खिकरेवी 'ज[इ] राहवह मिलेसु तो महु गिहि-धम्मो मह न मिलइ वय-गहणे तो स सेलउ () जम्मो' ॥८२
एत्थतरि सिरिसेल स-वहरि
ऊपइयउ पुणु भजए नयरी ॥ चूरइ धवलहराइ घर-देउल-सिहरा पण्हि-पहार-भुयाहिं पाडइ पायारा ॥८३
वियरइ नदण-वणि कीडाए
उम्मूलढ तरुयर लीलाए ॥ रामा-यणु तासेइ[7B] मोडए गय-खंभा तावह रावण-सुहडा धावहि” सारंभा ॥८४
सम-रथिउ तसु इंदइ धावइ
हणुवंतो अप्पउँ वधावइ ॥ नीजइ रावण-पासे हणुयउ सुहडेहिं सभासइ दहह्वयणो निठुर-वयणेहिं ॥८५
कि रे हणुया तई बवहरिउ
ज समाणिउ त वीसरिउ ॥ तुहुँ धुया-पइ होवी विलोसि दुचरियइँ
अवस न जायउ पवणिं लक्खिज्जसि चरियईं ॥८६ ८० २ णदण ८१३ मेलिवि ८२. १ सीयाएता (1) २ सखि ३ मिलसु. ६ समेलमओ ८४ २ उमुलह ८५१ तमु २ पधाष १ हणयमो ८५१ ववहरेते. ३ तह ५ पुच्च ८६ ६ लम्नि