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________________ सीयाहरण-रासु 'लक्खण जो तई वहिमो तमु केरउँ सेन्न आवइ गयणयलेण भाइय आसन्नू' ॥२६ [3B] तावहँ लक्खणि वुच्चइ रामो देव जिणेवउ मई सगामो ॥ अच्छि तुम रक्खतो सामिय वइदेही सीह-नीनाउ मुएसु जइ जीतु मरीर्हि' ॥२७ धावइ तावहँ खग्ग-करग्गो जुत्तिहि लक्खणु पर-वलि लग्गो ॥ उम्मूलइ गिरि-तरुणो मारइ गय-तुरया मुद्वि-पहार-भुयाहिं सचूरइ रहिया ॥२८ जुज्झ करेविणु तेत्थु पहुत्तु मारिउ खरदूसणु वलवतु ॥ अक्खिउ सेणिय तुझु सवुक्क-विहाणउँ निसुणह सीया-हरणुज वीतु चिराणउँ ॥२९ [२. सीया-हरणु] एत्थतरि लंकापुरि-नाहो वहु-भड-चडयर-वीर-सणाहो ॥ पुप्फ-विमाणारूढो चारण-थूवतो आवइ गयणयलेण देक्खइ सीय इंतो ॥३० 'किं सग्गह हुतिय वण-वासे माइय मच्छर वम्मह-पासे ॥ ता किं महु रूवेणं विज्ञा-लच्छीए जह एवंविह-रूया न रमउँ सुहछोए ॥३१ २६ १ खरदुसणु, पण २ रामेण ४ सेन्नु ५ २८ १. करगु, २ परपलि ५ पहारु २९ १ खरदु ४ वेहाण में दी गई है ५ बलेण ३११ हुन्तिय. यळेण ६. मासेन. ३० -६. मार्जिन
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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