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________________ सागरचंद ता किज्जइ विज्जाइ वलेण तरुण-तरहउँ रूउ खणेण ॥ आधो-गव-कर-जुयला [3A] विहसिय-नयणुल्ला नव-जोयण-संपन्ना ससहर-वयणुल्ला ॥२० माइ()वि चंदनहा स-वियारा ता सभासिय वे-वि कुमारा ॥ कोइल-फल-कठेग पभणिज्जइ राम् 'भुजि मई वर-तरुणी सफलउ करि जम्मू ॥२१ एत्थंतरि वुश्चइ रामेण 'न य मुंजउँ पर-तिय नियमेणं ॥ जो मुंजइ पर-नारी विसयामिस-ठद्धउ सो नर नरइ पडेइ कस-घाय-समिद्धउ' ॥२२ जावेवविह-क्यणहि वारिय __ताव पमोहर नहिहि विदारिय ॥ तोडिय-सिर-केसाए तणु नहिहि वियारित गय रोयत नहेणं खरदूसण साहिउ ॥२३ 'सामिय पई नाहेण अनाहो महु मारिउ संवुक्कु गुणोहो ॥ दसरहनाय-सुएहि लच्छीहर-रावहिं मारिउ असि-लट्ठिएहिं अइ निन्मय-पावेहि ॥२४ तोडिय केस नहेहि विदारिय तिण रोयंती एत्यु पराइय' ॥ रोसारुण-मुह-नयणो थिउ भीसणु दूसणु हकारिउ दङ्वयणो मारेवउ लक्खणु ॥२५ सरदसणु चउरग-वलेणे सच्चवियड इतउ रामेणे ॥ २०. १ बीज्वर वीजाए। 'पलेण' सुधार कर 'पण' ५ संपत्ता २१.१ पदनिहा १२. १. परतिम. ३. मुंगुर, । लखमा ५. नरए २३ महिहि ६ साहिठ २४ ५ मणि २१. विरेय २. वेण, एथु पराएय. ६ मारषउ. .
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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