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________________ २ 'पडिवन्नउ वरु हुतउ अम्हेहि सो मग्गउ केगइ सुणि तुम्हहि ॥ अवितह-वयणारंभा नर हुति जि सिट्ठा [24] तेण मई वण-गमणे तुम्हि सिट्ठा इट्ठा' ॥६ तावहँ पभण राहवु वयणु 'रक्खेव महूँ पियरह ऊउँ' ॥ सीया लक्खण-सहिओ वणि गउ पउमाभो दसरहु लेइ पवज्जा महि भुजइ भरहो ॥७ - गंडा - हरि-सरह - भरीए पत्ता विन्निवि तहि अडवीए ॥ एस्थतरि पउमेण वुच्चइ सो मिती 'अष्टहुँ भाय सुहेण छडिय पिय-भुती ॥८ बहु- गिरिवर - तरुयर - सछन्ने अच्छहुँ तिन्नि बि डडारन्ने' ॥ गय-गजिय हय- घोरे वणि अच्छइ पउमे लक्खणु चवल-सहावो आहिंडह रन्ने ॥९ कत्थइ खेलावइ भिंभल करि कत्थइ पुणु उत्तासह केसरि ॥ कत्थद कल्लुण-गिएणं मोहइ सारगा कत्थइ करिण कलाए दमिया मायंगा ॥ १० करथइ पुणु उम्मूलइ तरुयर मुट्ठि - पहारिहि कत्थइ मज्जण सलिले कत्थद भिल्ल-पुलिंदा चूरइ गिरिवर || सेच्छाइ र मेह सगामि जिणे ॥ ११ कत्थइ सीयाराम-गुरूणं आणइ वण- फल लेवि तरूणं ॥ एव विह लीलाए वणि अच्छछ लक्खणु । तेत्थु पुणु सवुक्को साहइ विज्जा खणु ॥१२ १०.१२३४ कथद ११ ९ से छाए ५ कथइ १२ १, कथइ, गुरुण १ बीजा १ सागरचंद रह हुमूलए तरूयर २ चुरए ३ कयह मजण २. तरुण ४. अछर लख ५ संपुको.
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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