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'पडिवन्नउ वरु हुतउ अम्हेहि सो मग्गउ केगइ सुणि तुम्हहि ॥
अवितह-वयणारंभा
नर हुति जि सिट्ठा
[24] तेण मई वण-गमणे तुम्हि सिट्ठा इट्ठा' ॥६ तावहँ पभण राहवु वयणु 'रक्खेव महूँ पियरह ऊउँ' ॥
सीया लक्खण-सहिओ वणि गउ पउमाभो दसरहु लेइ पवज्जा महि भुजइ भरहो ॥७ - गंडा - हरि-सरह - भरीए
पत्ता विन्निवि तहि अडवीए ॥
एस्थतरि पउमेण वुच्चइ सो मिती 'अष्टहुँ भाय सुहेण छडिय पिय-भुती ॥८ बहु- गिरिवर - तरुयर - सछन्ने अच्छहुँ तिन्नि बि डडारन्ने' ॥ गय-गजिय हय- घोरे वणि अच्छइ पउमे लक्खणु चवल-सहावो आहिंडह रन्ने ॥९
कत्थइ खेलावइ भिंभल करि कत्थइ पुणु उत्तासह केसरि ॥
कत्थद कल्लुण-गिएणं मोहइ सारगा
कत्थइ करिण कलाए दमिया मायंगा ॥ १०
करथइ पुणु उम्मूलइ तरुयर मुट्ठि - पहारिहि कत्थइ मज्जण सलिले कत्थद भिल्ल-पुलिंदा
चूरइ गिरिवर || सेच्छाइ र मेह सगामि जिणे ॥ ११
कत्थइ सीयाराम-गुरूणं
आणइ वण- फल लेवि तरूणं ॥
एव विह लीलाए वणि अच्छछ लक्खणु ।
तेत्थु पुणु सवुक्को साहइ विज्जा खणु ॥१२
१०.१२३४ कथद ११
९ से छाए ५ कथइ १२ १, कथइ, गुरुण १ बीजा
१
सागरचंद रह
हुमूलए तरूयर २ चुरए ३ कयह मजण २. तरुण ४. अछर लख ५ संपुको.