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________________ सागरचंद-राउ सीयाहरण-रासु [1B]नवकारिवि सुयएवी सुय रयण-विहूसिय पोत्थय-कमल-धरीया कमलासणि सठिय ॥ [१ संवुक्क-विहाणउँ] पभणउँ रामु गुरूण नमेविणु महो जण निसुणहो कन्नु घरेविण ।। पुष्छिउँ गोयम-सामी सेणिय-राएणं 'भयव सीया-हरणु कहि महुर-सरेण' ॥१ तावहि पभणइ गोयम-सामी सासय-सिव-सुह-सिद्धिहि गामी ॥ अस्थि पुरी मण-हरणा सावस्थिय-नामा मणि-कचण-धण-धन्ना वहु-रयणहँ जम्मा ॥२ सा पुरि पालए दसरह-राओ उन्मड-भड-परिवारिय-कामो ॥ सयलंतेउर-सारा तसु तिन्नि पहाणिय केगइ मवर सुमित्रा वर गेहिणि राणिय ॥३ अवरह राउँ सुमित्तह लक्खणु केगइ-जायउ भरहु स-लक्खणु ॥ केगइ वर-लद्धाए भणियउ दसरह-निवु 'भरहह दीजइ रज्जु पिय होइ महा-निवु (1) ॥४ वणि पट्टवियइ रामु स-लक्खणु सीयहँ सहियउ में करि कु-वि खणु' ॥ हक्कारिउ पउमाभो लक्खण-भर-सहियउ आसणु देविणु ताण परमत्थु वि कहियउ ॥५ मूल के पाठ । ६० ॥नमो वीतरागाय। प्रारंभ : पोथय ११. कंनु. ३. तिपहाणीय ४२. जायओ. ४.३ लपा ६५ हुन्ति ७४ गमो, पठमामु ५ पापज्जा ८२ पिमिवि. ९.१ छछने. २ तिनिषि, ५ लक्षण ६ माहिए रंने.
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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