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________________ ते कुमार नयरिहि पइसंता । सव्वह नारिहि खोह करता ॥ तूर-सय, अप्फालियई जो आणदु जाउ तहि भवसरि । नरवर-विंदहु सयलहो वि लवणकुस पइसता पुरवरि ॥६२ ता, निएवि रूउ भइ सुदरु । [35A] अंगुलियइँ दाति परोप्परु ॥ धीय गवक्खेहि का-वि तिय 'राहु लवणु मयणंकुसु अन्नु । जोइज्जइ नारि-सएहि सीयहि वे-वि पुत्त उत्पन्ना ॥६३ लवणकुस निय-भवणि पट्ठा । पुर-लोएहि सामतेहि दिट्ठा ॥ अपराजिय सोमित्ति तहि सल्ल विसल्ला ए महएवि । मामडक नारय-जमहु पुणु वइट्ठ गुरुयणु पणमेवी ॥६४ जे पुरि पट्टणि गय हक्कारा । ते सामंत माय वहिलारा ॥ विन्नप्पह राहउ जणेण सोम देव न वि पट्टणु पावइ । माणहि सीय म खेउ करि देहि सुद्धि अम्हह मणि भावइ ।। ६५ वयणाणतर राहवचदि । पुप्फ-विमाणु लेवि आणदि ॥ पवर्णबउ सुग्गीव गय दोवर रयणासव-नदण । प्रत्ति पराइय पुडरि जोयवि इय किय चलणहैं वदण ॥ ६६ पेक्सनि रहसिं अगि न माइय । 'सामिणि तउ हक्काग आइय' ॥ मनइ सीय 'निठुर-हियएण महु वलदेविं किं पि न कज्जु । तुम्ह(म्ह) (वि)वरोहिं जामि हउँ अयस-कलंकहु पाडउँ वग्जु ॥ ६७ [35B] चडवि विमाणि सीय सपाइय । नं सरसइ हिमवंतह माइय ॥ महिय सोइ जाणवि नियवि पुन्निव-चदहु सा अकलकिय । भणइ राउँ आरुट्ठ मणु 'महिला होइ निलज्जासकिय' ॥ ६८ ३१. ठ २ परोपरु ३ गवखेहि ४, मनु ६४ २ वहिल्लारा ६ मुब ६५ १. पुत्र ५ पुस्तरि ६७. २ पेयि ६८ ४ पुनिव
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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