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________________ नयर-वारे नरनाहु ठिउ निय-किंकरहँ देइ आएसु । 'हह-सोह सोहिय करहु मडहु भूसहु नयरु असेसु ॥४१ आण पडिच्छवि तेहि न[33A]रिंदहु । पुणु पेक्खंतहु नरवर-विंदहु ॥ दिवाहरण-विभूसिया नाइ सुरंगण दिट्ठ जणेण । पीनंती नयणंजलिहिं वनजंघ-घरु आणिय तेण ॥४२ वज्जजघु अंतेउरु दक्खइ । 'धम्म-वहिन एह' लोयह अक्सइ ।। वद्धावणउँ नरिंद-हरि पडह-सख-तूरेहि वर्जसेहि । खज्जु पेज्जु दिग्जइ जणहु खुज्जेहि वावणेहे नचंतेहि ।।११ दिन्न नरेसरेण आणत्ती जिण-भवणेहि महिम भाढत्ती ॥ अगर-धूय-पुण्फच्चणेहि वलि विहाण-मणिमय-उल्लोएहि । चच्चवि भवणईं जिणवरहँ नेत्र-पट्ट-चीणंसुय लोएहि ।।१४ जणय-तणय राई सहुँ आइय । स-हरिसु जिणवर-भुवणि पराइय ॥ दिठु भराउउ मुवण-गुरु करवि पयाहिण थुइ माढत्ती । जय-जय-सईि जिणवरहि सच्चुय(१)-गुणेहि थुणा सा भलिए ॥४५ 'जय-जय तिहुयण-सिरि चूडामणि । जय भव-रुक्ख-दुक्ख-मूलासणि ।। थुणवि थुइहि” एमाइएहि वहु पणिमाउ करेवि निर्णिदहु । लोय सहस्सेहि परियरिय गमइ काल ठिय भवणि नरिंदा ॥४॥ सुहेण गम्भु सा विद्धिहि नेइ । कुलहरु सुमरवि सिंख करेई ।। अद्रम राइदिएहि भन्नु वि मासेहि नहि गर्हि । पसविय जु[33B] यलउँ सीय तहि दसरह-बस-जगह पुग्नेहि ॥१७ नंदइ वद्धाविउ नरनाहु । अन्नु वि जणवउ हरसिउ साह ॥ ४२ २. पेखतहु नरवरविदुहु ५. प जुलिहिं । पखण ४३. थम ४४. ३ पुफ ४७ ५ अबलम ६. पुहि ४८. १ मा
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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