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________________ पहावन्न-सत्त मई लक्खिय । तह निय परियणहु वि ति मक्खिय । गउ एकल्लउ तेत्धु वणि जहि पएसि अच्छइ वइदेही । समस-भय-उचिग्ग-मण वदिय 'साहम्मिणि निसुणेहि' ॥३५ ज वदणह सह निमुणेइ । जाणइ अप्पउँ सठावेइ ॥ भणिय नरिदि 'वहिन्न तुहुँ साहम्मिणि महु वयणु सुणेहि । वजजघु महु नाउँ किर छडि सोउ महु मदिरु एहि' ॥३६ मीय भणइ 'तुहु भाय सयाणउ । किं न मुयउँ पहुँ जाण आहाणउ ॥ जेवें महातरु कदरहूँ वहुयहँ सउण-सयहँ आवासउ । तिवें नारिहि दुक्खाविअहि वधउ होइ नियाणि कुंयासउ' ॥३७ जाउ [32B] ताह वीसभु परोप्परु । मक्खिउ ताण तासु निय-कुलहरु । "धीय होमि मिहिलाहिवहु परणिय दसरह-वसि विसालइ । दइव-वसि धम्मह छलेण आणवि घल्लिय पेयह आलइ' ।।३८ वग्जजघु पुणरवि वोल्लेइ। 'धम्मु अहिंसा-सारु कहेइ ॥ वहिने अ-सासउ पहु जगु नरय-तिरिय-मणुयासुर-लोएहि । माय-भाय-पिय-सयण जणु होइ मरतहँ को पर-लोए ॥३९ तावहि वर-करेणु ढोयाविय । सिरु नामेप्पिणु खधि चडाविय ॥ 'पुंडावदणि नयरे मुहुँ तेत्थु नेमिचदह जिण-भुवणहैं । देसहु सामिय तासु हउ भुजि सुहइँ करहि महु वयण ॥४० वग्जजघ-बहुगुण-अणुराइय। पुडावद्धणि नयरे पराइय ॥ ३५ ३ एकला तेथु साहमिणि ३६ ३ वहिन । साहमिणि ६. एहि ३७ ६ बर ३८१ परोपरु ३ महिलाहिबहु ३९ २ यमु ३ असासार ४०३ मामेपिणु, ३ पुगवदेमि । तेथु
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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