SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 298
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सज्जग्जुण अज्जुण (1) धणेहि धव-धम्मण-बहु-खयर-पलासहि । भव-कर्यवेहि जवुएहि भन्नेहि वि वहु-रुक्ख-सहासेहि ॥२१ वाध-सीह-भल्लुक्क-तिरिच्छेहि । गडा-गवय-रिच्छ-वीमच्छेहि ॥ सूयर सरह वराह तहि चित्रा हस्थि रोज्झ हरणाइ । म्हहस विराला गोरहर केत्तिय अक्वइँ जीव-सयाह ॥२२ पेक्सवि अडवि घोर भीसावण । खुद्ध मुद्ध चिंतइ कमलाणण ।। 'हा कियत कहि माणीय(31A] ज पइँ पाडिय दुक्ख समुद्दे । जिउ भमई ससारि जिह फाले अणंतइ घोर-रउद्दे' ॥२३ तं निसुणवि रहु सारहि खचड । भावरि तिन्नि देवि पलियंचइ ॥ पुणु पणमवि कम-जुयल 'विनषेमि निसुणेहि सु-सामिणि । वरि मडल्ल म भिच्चयणु जो तई छाउँ वण गय-गामिणि' ॥२४ मस्य-पुन्बु त वयणु सुणेवि । न सिरि ताडिय वज्जई देवी ॥ पडिय धस-त्ति [स] धरणियलि चेयण लहवि पवोल्लइ इम्व । 'हउँ संदेसउ देमि तउ राहवहु () तुहुँ अस्खहि इम्व ॥२५ पयणु दुवेल जिणचरिउ सुणेज्जई () । निकलेकु मुणिवरेहि कहिज्जइ ॥ मिअदिदि अणेग नर अवगुण लिति जिणिंदह सासणे । जिव अ-परिक्खिय मुक्क हउँ ति व जिण-धम्म म मेल्लसि निय-मणि' ॥२६ मेल्लवि सीव जाँव सचल्लिउ । हियडइ नाइँ तिहिं सल्लिउ ॥ वेगें पतु अवज्म-पुरि कहिउ जेव सीयइँ सदिट्ठउँ । चिता-सायरे पडिउ पहु सुणवि कयतहु वयणु अणि?उँ ॥२७ २१.. बब ६ पहलैहि २२. १ मल्लुक २ विभच्छेष्ठि २५ १ असुयपुछु. ३.पत्ति २६ । दुवैसा चरिह। मच्छाहिडि
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy