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________________ सो उवसामिउ हलहरेण 'एत्थु वच्छ किरि किन काइ । कोवलियइँ सरिहि जिव को जाणड महिलहुँ चरियाई ॥१४ केत्ति लम्व तुहुँ जगु वारिति । तिग- चउक्क चच्चरहूँ निवारिसि ॥ वरि मरेँ चत्तिय ज[ण ] य-सुय जिण-इ-वंदण छलेण म महु अयस - पडछु जाग वज्जउ | डडारन्नि मीय छडिजउ' ॥१५ मंतिउ वासुदेव- वलदेवहि । जावि ( ) हक्कारि विणु विं ॥ 'पूरउ जो तुहु डोहलउ वदहि जिण भवणा हैं स सत्तिए । जम्मु नाणु नेव्वाणु जहि तुहुँ तित्थयरहँ पणमहि भत्तिए ॥१६ एह वोल्ल नेम्माइय जाँव । दaarणु हक्कारिउ ताँव ॥ सो ऊसारवि वुत्तु पुणु कहिउ गुज्छु ज कारणु कजह | दुहि कारण जगह अणग्म' ॥१७ 'तहि सीय वच ( द ) ण - छलेण त आए लहवि जमवयणि । हियst खुद्धउ मउलिय - [ 30 B] नयणि ॥ सज्जवि रहवरु गउ तुरिउ जेत्थु भुवणि ठिय सीयाएवी । 'उठु भरा डिएचडहि रहि वंदहि तित्थयरहँ जाएवि ॥१८ चडु वइदेहि न किंग्ज खेऊ । अग्गइ सचल्लिउ वलदेऊ' ॥ निव्वियप्प सा चडिय रहि अन्नु विलोय दाहिणउँ भुय दाहिणिय चोइउ रहु ने अवश मुयवि सा चल्लिय जान 1 गय उत्तर -दिसि सम्मुह ताँव ॥ पेक्खतिय गामागर हूँ जावहि दूर-देसि स पराइन । जहि मुह कालो जिएण सावय-सकुल अडवि पराय ॥२० दिट्ठ अडवि तरुयरेहि विसालेह । सरल-तमाल-ताल-हितालहि || फुरिय तावेहि । भाणुय वेलहि ॥१९ १५.५ चाल्लेण च्छ डिजल १६ ५. अमु १९ १ देवि ३. निविष ५. अनु २०. १ अवश २ सम्मुह ४ देखि पराइब, '' मार्जिन में
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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