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________________ २७ सोयाहरण-रासु ता देक्खइ तरु-हेटे राहवु वइदेही गय-लायन्न मिलाणा पुणु दुव्वल-देही ॥१७१ ___ता उप्पाडइ कर-जुयलेण आरुहियकरिवरि नाहेण ॥ रोयइ कठ-विलग्गा 'सामिय वहुयाइ राहव तुहु विरहेण पत्ताइँ दुहाइ ॥१७२ अज्ज-वि अमलिय-सीला सामि[य तइ मेल्लेविणु अन्नु न रामिउ ।। इदइ-सुहडाईया समरगणि वद्धा मेल्लाविय रामेण तक्खणि पडिवुद्धा ॥१७३ 'इह ससारि न के-इ सहेज्जा पिय-माया भाया वि न भज्जा ॥ एक्कु जि मेल्लिवि धम्मो जिणमइ-उवइट्ठो सासय-सिव-सुह-फलओ भवियायणि इट्ठो ॥१७४ जेण सुरासुर-गेवेज्जाण पाविज्जइ उप्परि सुह-ठाण ॥ ता सेवह भव-भीया जर-मरण-पणासणु कम्म महा-वण-पवणो(१) जिण-धम्म-हुयासणु ॥१७५ एउ चिंतिवि पत्ता केवलिणो भावि य आराहइँ तसु चलणो॥ लेविण पच-वयाइ छट्ठाइ-तवेण सोसहि निय-तणु ते-वी सजम-नियमेण ॥१७६[15B] अणुदिणु आराहइँ जिण-चलणं परिपालहि पुणु पुणु गुरु-वयण ॥ पच-महव्वय-भारो परिवालिउ तेण पत्ता परम-पयम्मी अच्छति सुहेण ॥१७७ १७२३ देखा ५ लायम ६ दुवल १७३२ मेलेविणु अनु ४ समरगणि ५ मेलाषिय ६ तखणि १७४ ३ एकु, धमो १७५ ५ कम १७६ ४ छठाइ १७७ २ पुरिपालहिं ५ पयमी
SR No.520751
Book TitleSambodhi 1972 Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDalsukh Malvania, H C Bhayani
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1972
Total Pages416
LanguageEnglish, Sanskrit, Prakrit, Gujarati
ClassificationMagazine, India_Sambodhi, & India
File Size11 MB
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