SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 277
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सब लोग देखो : अगस्त, पृ. ४ (आवरण)। स्थितप्रज्ञ बनें (पण्डित : भावी भूमिका) : सभा-संस्था : आप क्या सोचते हैं ? : सुरेश नरेन्द्र प्रकाश जैन, जून, पृ. १२६ । 'सरल', सितम्बर, पृ. १२। हँसते गुलाब के सान्निध्य में (कविता): उमेश समय थोड़ा है : डॉ. कुन्तल गोयल, अक्टूबर, जोशी, जन.-फर., पृ. १२ । पृ.१७। हँसते-हँसते जियो : डॉ. सुरेन्द्र वर्मा, जन-फर., 'समयसार' : गाथाओं में गथी सचाई : डॉ. पृ.५। नमीचन्द जैन, मई, पृ. १५; अगस्त, पृ. १६। हँसते-हँसते जियें : राजकुमारी बेगानी. जन-फर., समवसरण : समग्र सौन्दर्य का स्थायी कला- पृ. १२ । मौटिफ : वीरेन्द्रकुमार जैन, मई, पृ. ७ । हँसते-हँसते जियें करें : डॉ. निजामउद्दीन, समस्याओं से घिरा आज का शोध-छात्र : डॉ. जन-फर., पृ. १६ । कस्तूरचन्द कासलीवाल, नव.-दिस., पृ. ८६।। हँसते-हँसते जियो : कब तक? सुरेश 'सरल' जन-फर., पृ. २५। समाज के अनमोल रत्न : श्रेयांसप्रसाद जैन, हँसते-हँसते मरना : गणेश ललवानी, जन-फर., जून, पृ. २५। प. २८। समाज के उत्थान में जैन पण्डित-पराम्परा का योगदान : डा. पन्नालाल साहित्याचार्य, जन, _हँसते-हँसते मृत्यु-वरण : डॉ. प्रेम सुमन जैन, पृ. ६५। जन-फर., पृ. ३३। ___ समाधिमरण (गुजराती): भोगीलाल गि. शेठ, ____ हम और मन्दिर (ललित व्यंग्य ) : सुरेश 'सरल', जुलाई, पृ. २३। समीक्षा, अगस्त, पृ. २३ । समीक्षा-शिबिरों का आयोजन (पण्डित : भावी __ हम हँसना भूल जाते हैं : अर्चना जैन, जन-फर., प. १७। भूमिका) : डॉ. पुष्पलता जैन, जून, पृ. १३८ । सम्प्रदाय (ललित व्यंग्य) : सुरेश 'सरल', नव हमारी पण्डित-परम्परा और उसका भविष्य : वीरेन्द्रकुमार जैन, जून, पृ. ५५ । दिस., पृ. ८३ । साँसों के पंछी को · · · (कविता): बाबलाल जैन हारें किताब, जीतें मैदान : संपादकीय, मार्च, “जलज', अगस्त, पृ.६। हिन्दी के मध्यकालीन जैन साहित्यकार : पं. साधना-भ्रष्ट (कविता): दिनकर सोनवलकर, परमानन्द शास्त्री, जून, पृ. ११५ । जन-फर.-पृ. ३ (आवरण)। साध अर्थात् लोकमाता : सितम्बर, पृ. ४ साहित्याचार्य, जुन, पृ. २७।। ___ हृदय में संतोष, वाणी में मृदुता : डा. पन्नालाल (आवरण)। साध की विनय : आचार्य विद्यासागर, नव. लेखकानुक्रम दिस., पृ. ३७। __ साधुओं को नमस्कार : संपादकीय, नव-दिस., अजित जैन : युवा पीढ़ी का ध्रुवतारा, नव.-दिस., पृ. २५। पृ. ५। अयोध्याप्रसाद गोयलीय : बाबू बाबाजी की याद सुकुमारिका (पुराण-कथा): गणेश ललवानी, में (ब्र. सीतलप्रसादजी), नव. दिस., पृ. ६७ । मार्च, पृ. १०। ___ अर्चना जैन, कु. : नारी-विद्रोह : क्यों, कैसा, __ स्वर्ग और नरक एक सत्य है (टिप्पणी): कितना?, जुलाई, पृ. २१; हम हँसना भूल जाते हरखचन्द बोथरा, जन..फर., पृ. ४४। हैं, जन-फर., पृ. १७। स्वर्ग और नरक : कितना सत्य, कितना असत्य : ___ आनन्द स्वामी : सद्गुरु की पहचान (बोधकथा), कन्हैयालाल सरावगी,अगस्त, पृ. ६ । नव-दिस., पृ. ५८ । स्वर्ग का स्वप्न : आचार्य रजनीश, अगस्त, ___ आशाधर, पण्डित प्रवर : शौच : लोभ की सर्वो. त्कृष्ट निवृत्ति, नव.-दिम., पृ. २८ । स्वराज्य का अर्थ : मो. क. गांधी, समीक्षा, आशा मलैया, श्रीमती : एक तपःपूत कवि की मार्च, पृ. २७ । काव्य-साधना, नव-दिस., पृ. २१; विद्याञ्जलि स्वाध्याय : सुरेश 'सरल', माच, पृ. ७। (कविता), नव-दिस., पृ. २६ । ५. १४॥ तीर्थंकर : अप्रैल ७०/५३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520604
Book TitleTirthankar 1978 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1978
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy