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समाचार : शीर्षक-रहित, किन्तु महत्त्वपूर्ण
-'अहिंसा विश्वधर्म है । जैनाचार्यों ने -भारत जैन महामंडल, बम्बई के अनादि काल से अहिंसा के प्रचार-प्रसार तत्त्वावधान में श्रीडूंगरगढ़ (राजस्थान) पर बल दिया है। जहाँ अहिंसा है, वहीं में द्वि-दिवसीय (६-७ जनवरी, ७९) शान्ति है, वहीं सत्य है । स्थायी शान्ति के जैन संस्कृति सम्मेलन आचार्य श्री तुलसी लिए हमें अहिंसा और क्षमा को ही अपनाना के सान्निध्य में श्री प्रतापसिंह बेद की होगा।' ये वे प्रारंभिक उद्गार हैं जो एला- अध्यक्षता में संपन्न हुआ। वर्धमान महोत्सव चार्य श्री विद्यानन्दजी के सान्निध्य में के कारण लगभग तीन सौ साधु-साध्वी विश्वधर्म शान्ति सम्मेलन की जयपुर- और पाँच हजार श्रावक भी उपस्थित थे। शाखा के उद्घाटन के अवसर पर उन्होंने सम्मेलन में कतिपय महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव अपने उद्बोधन में व्यक्त किये। सर्वानुमति से पारित किये गये। भविष्य
ज्ञातव्य है, एलाचार्यजी के १४ वर्षों के में अन्य आचार्यों के सान्निध्य में भी दूसरे पश्चात् २४ दिसम्बर, ७८ को जयपुर
राज्यों में इस प्रकार के सम्मेलन आयोजित शुभागमन पर अभूतपूर्व हार्दिक स्वागत
करने का निर्णय लिया गया । किया गया। उनकी धर्मसभाओं से बड़ी -भारत जैन महामंडल का४३ वाँ अधिसंख्या में लोग लाभान्वित हो रहे हैं। उनके वेशन दिल्ली में अप्रैल '७९ के दूसरे या प्रति आदरांजलि अर्पित करने हेतु एक तीसरे सप्ताह में श्री धर्मचन्द्र सरावगी विशेषांक भी प्रकाशित किया जा रहा है। (सदस्य, राज्यसभा) की अध्यक्षता में ___-एलाचार्य श्री विद्यानन्दजी का होने की संभावना है। आगामी चातुर्मास इन्दौर में होने की -श्री महावीर जैन विद्यालय, बम्बई संभावना को ध्यान में रखकर संबन्धित के तत्त्वावधान में द्वितीय जैन साहित्यकार्यक्रम को मूर्तरूप देने हेतु दि. जैन समाज समारोह (गजराती) ३-४ फरवरी,'७९ की आमसभा श्री मिश्रीलाल गंगवाल कोमटवा भावनगर) में आयोजित किया की अध्यक्षता में आयोजित की गयी, जिसमें सर्वानुमति से उनकी स्वीकृति प्राप्त करने का संकल्प किया गया और इस कार्य के
-महावीर ट्रस्ट की शोधवृत्ति-योजना निमित्त एलाचार्य विद्यानन्द मुनिसंघ
के अन्तर्गत मध्यप्रदेश के विश्वविद्यालयों स्वागत समिति गठित की गयी, जिसके
में जैन दर्शन और साहित्य पर पी-एच.डी. अध्यक्ष श्री राजकुमारसिंह कासलीवाल,
करनेवाले शोधवृत्ति के इच्छुक छात्र उपाध्यक्ष सर्वश्री मिश्रीलाल गंगवाल,
ट्रस्ट के कार्यालय (शीशमहल, सर हुकमपं. नाथूलाल शास्त्री, हीरालाल कासली
चन्द मार्ग, इन्दौर-२) को अपेक्षित जानवाल, डी. सी. जैन एवं श्रीमती चन्द्रावती
कारी २८ फरवरी,'७९ तक भेज सकते हैं। बाई जैन, मंत्री श्री बाबूलाल पाटोदी और __-जैन विश्वभारती, लाडनूं (राजकोषाध्यक्ष श्री माणकचन्द पांड्या का स्थान) की पत्राचार पाठमाला द्वारा जैननिर्वाचन किया गया।
धर्म-विषयक प्रशिक्षण-योजना का शुभाएक प्रतिनिधि-मंडल एलाचार्यजी से रम्भ इस वर्ष से किया गया है। प्रवेशार्थी चातुर्मास इन्दौर में ही करने का निवेदन की न्यूनतम योग्यता हायर सेकेण्डरी या करने जयपुर गया।
समकक्ष रखी गयी है ।
तीर्थंकर : जन. फर. ७९/६१
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