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________________ क्या कहाँ कारा ! (कविता) __ -कन्हैयालाल सेठिया; आव. २ क्या आप हँस सकते हैं ? -संपादकीय ३ हँसते-हँसते जियो -डा. सुरेन्द्र वर्मा ५ आनन्द के क्षण -कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' हँसते हुए गुलाब के सान्निध्य में (कविता) -उमेश जोशी १२ हँसते-हँसते जियें -राजकुमारी बेगानी १३ (हम) हँसना भूल जाते हैं -अर्चना जैन १७ हँसते-हँसते जियें करें -डा. निजामउद्दीन १९ तू हाँसे जग रोय -कन्हैयालाल सरावगी २१ हँसते-हँसते जियो : कब तक ? -सुरेश 'सरल' २५ हँसते-हँसते मरना -गणेश ललवानी २८ अपने पर भी हँसें कभी -जमनालाल जैन ३१ हँसते-हँसते मृत्यु-वरण -डा. प्रेमसुमन जैन ३३ जीवन : हरा हर पल, भरा हर पल . -डा. कुन्तल गोयल ३७ रूढ़ि के ताले इस तरह खुल सकते हैं -काका कालेलकर ४० जो हँसने से रोकें, तोड़ें ऐसी परम्पराएँ (कविता) -कल्याणकुमार 'शशि' ४१ आदमी हो आदमी की तरह जीना जरा जानो (कविता) -नरेन्द्र प्रकाश जैन ४३ टिप्पणियाँ (१) जैन पारिभाषिक शब्दों के अंग्रेजी पर्याय -केशरीमल जैन ४४ (२) स्वर्ग और नरक एक सत्य है -हरखचन्द बोथरा ४६ जैन विद्या : विकास-क्रम कल, आज -डा. राजाराम जैन ४७ साधु-वाद -आ. विद्यासागरजी ५१ ये कुछ नये मंदिर नये उपासरे -नेमीचन्द जैन ५२ कसौटी (पुस्तक-समीक्षा) ५५ पत्रांश ५७ समाचार-परिशिष्ट ६१ साधना-भ्रष्ट (कविता) -दिनकर सोनवलकर; आव. ३ वह मनुष्य है -आवरण ४ आवरण-आकल्पन (हँसते-हँसते जियो; हँसते-हँसते मरो) -गणेश ललवानी, कलकत्ता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520604
Book TitleTirthankar 1978 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1978
Total Pages288
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size6 MB
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