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सबेरे वह स्वयं उठकर व्याख्यान में आ जाएगा। सारा वातावरण ही बदल गया। मैंने उचित दवा लाकर दी और कम्बल ओढ़ाकर सुला दिया। वह सो गया, और सबेरे व्याख्यान में आ गया। इसी चातुर्मास में एक और प्रसंग इसी तरह का सामने आया। जिस स्थानक में गुरुदेव बिराजमान थे, उसके पीछे की गली में एक बाई भयंकर प्रसव-पीड़ा से कराह रही थी । डाक्टर, वैद्य, दाई, नर्स सब ने उपचार किया किन्तु कोई लाभ नहीं हुआ, दर्द ज्यों-का-त्यों बना रहा। ऐसे खिन्न वातावरण में वहाँ खड़े एक भाई ने कहा कि एक कटोरी जल ले जाओ और गुरुदेव का अंगूठा छुआ लाओ और बाई को पिला दो। यही हुआ और दर्द बिजली की गति से भाग गया। प्रसविनी उठ बैठी । दूसरे दिन उसने एक सुन्दर बालक को जन्म दिया । ऐसी अनेक घटनाएँ हैं जो मुनिश्री चौथमलजी के व्यक्तित्व को उजागर करती हैं । वस्तुतः ये चमत्कार नहीं हैं, ये हैं उनकी आध्यात्मिक साधना से निर्मित निर्मल वातावरण के प्रभाव । उनकी साधना इतनी महान्, उज्ज्वल और लोकोपकारी थी, कि चारों ओर का वातावरण, जहाँ भी वे जाते, रहते या प्रवचन करते थे; निर्मल, रुजहारी और आह्लादपूर्ण हो उठता था । वे महान् थे।
_चाँदमल मारू, मन्दसौर
उनके मार्ग पर चलें वास्तव में मुनिश्री चौथमलजी महाराज के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगीउनके द्वारा निर्दिष्ट मार्ग पर चलना। जबतक हम संगठन, एकता, परस्पर मत्री, आत्मानुशासन, वैराग्य, कठोर कर्त्तव्य-पालन आदि की ओर अग्रसर नहीं होंगे, उनके इस जन्म-शताब्दि-समारोह को सार्थक नहीं कर पायेंगे।
बागमल चौहान, महागढ़
जीवन ही बदल गया उत्तरप्रदेश के एक गाँव में श्री जैन दिवाकरजी का प्रवचन हो रहा था। श्रोता मन्त्रमुग्ध थे। प्रवचन का विषय था-'चोरी करना महापाप है' । वक्ता-श्रोता दोनों आत्मविभोर थे। बीच में एक भाई खड़ा हुआ और बड़ी नम्रता से बोला-'गुरुदेव मैं आज से जीवन-भर चोरी करने का त्याग करना चाहता हूँ, कृपाकर मुझे त्याग करवा दें। लोग आश्चर्यचकित उस ओर देख रहे थे क्योंकि जो व्यक्ति व्रत लेने के लिए प्रेरित हुआ था वह उत्तरप्रदेश का एक कुख्यात डाकू था। उसने कई हत्याएँ की थीं। इस तरह जिसका जीवन घृणित कार्यों में लगा रहा, गुरुदेव के उपदेशो से उसका सारा जीवन ही बदल गया। उनके प्रभाव से कई गांवों में आपसी मन-मुटाव मिट गये और कई व्यक्तियों ने मद्यपान, मांसाहार, गांजा-भांग इत्यादि व्यसन जीवन भर के लिए छोड़ दिये।
D नथमल सागरमल लं कड़, जलगाँव
तीर्थंकर : नव. दिस. १९७७
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