SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०७ १०८ १०९ २,३ ११५ १२५ १२९ १३० ० एक देवदूत की भूमिका में -हस्तीमल क्षेलावत प्रवचन-मेघ, जीवन-धरती -ईश्वर मुनि जैसी करनी, वैसी भरनी -श्रीमती गिरिजा 'सुधा' 'क्या चौथमलजी महाराज पधारे हैं ?' -रिखबराज कर्णावट मांगलिक श्रवण : आदिवासी का संकल्प ; किन्तु भूलकर भी आत्महत्या नहीं करूँगा -रमेश मुनि आवरण जैन धर्म, दर्शन, साहित्य, संस्कृति अध्यात्म-रहस्यों की खोज .. -मुनि नथमल चारित्र ही मन्दिर है -उपाध्याय मुनि विद्यानन्द 'सममसार' की पन्द्रहवीं गाथा -उपाध्याय मुनि विद्यानन्द स्थानक अर्थात् इमारत नहीं, आत्मालय -उपाध्याय मधुकर मुनि प्रतिक्रमण |प्रतिलेखन (कविता) -रत्नेश 'कुसुमाकर' समाज और सिद्धान्त -मुनि मोहनलाल 'शार्दूल' महामन्त्र णमोकार : कुछ प्रश्न-चिहन -प्रतापचन्द्र जैन जैन संस्कृति : विश्व संस्कृति की अन्तरात्मा -मुनि महेन्द्रकुमार 'कमल' धर्म : उत्पत्ति और अस्तित्व -स्व. पं. 'उदय' जैन संवत्सरी : एक विचारणीय पक्ष -सौभाग्यमल जैन विशेष गोयलीयजी : बेटे के आईने में -श्रीकान्त गोयलीय 'जब गोम्मटसार प्रकाशित हुआ . . किन्तु अब ? -लक्ष्मीचन्द्र जैन • • “एक गीत ईमान का (कविता) -बाबूलाल जैन 'जलज' कसौटी (पुस्तक-समीक्षा) समाचार-परिशिष्ट तीर्थकर : और तीन वर्ष (मई १९७५ से अप्रैल १९७७) १३१ r १३३ ur १४१ १४३ १५७ १६२ १६३ १७७ तीर्थकर : नव. दिस. १९७७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520603
Book TitleTirthankar 1977 11 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1977
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy