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________________ -मुनि जयन्तविजय 'मधुकर' ८७ ज्योतिष एवं श्रीमद्राजेन्द्रसूरि राजेन्द्रसूरि का समकालीन भारत 'अभिधान-राजेन्द्र-कोश' : कुछ विशेषताएँ श्रीमदराजेन्द्रसूरि और पाँच तीर्थ साहिर्षि श्रीमदराजेन्द्रसूरि । -राजमल लोढ़ा ९५ -मदनल १) -मदनलाल जोशी परिशिष्ट (१०३-१४) १. श्री सौधर्मबृहत्तपागच्छीय आचार्य-परम्परा २. अभिधान-राजेन्द्र कोश : सन्दर्भ ग्रन्थ ३. श्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वर के विविध स्थानीय मूर्ति-लेख ४. “तीनथुई” सिद्धान्त का परिचय ५. श्रीमद्रराजेन्द्रसूरि के पद शब्द-खण्ड (१०५-५२) शब्द और भाषा -उपाध्याय मुनि विद्यानन्द ११७ शब्द तारे, शब्द सहारे (कविता) -भवानीप्रसाद मिश्र १२५ जैन दर्शन : पारिभाषिक शब्दों के माध्यम से -डॉ. देवेन्द्रकुमार शास्त्री १२६ हमारी कोश-परम्परा और 'अभिधान-राजेन्द्र' -इन्द्रमल भगवानजी १३२ जैन दर्शन में शब्द-मीमांसा -डॉ. देवेन्द्रकुमार शास्त्री १३९ इम्तहान, रस-ग्रहण, संभावनाएँ, पछतावा (कविताएँ) -दिनकर सोनवलकर १४४ माध्यम नहीं हैं शब्द (गीत) -नईम १४६ श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वर-विशेषांक/५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520602
Book TitleTirthankar 1975 06 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size4 MB
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