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________________ यह विशषांक जून-जुलाई '७५ का प्रस्तुत संयुक्तांक "श्रीमदविजयराजेन्द्रसूरीश्वर-विशेषांक” के रूप में अपने प्रबुद्ध-सहृदय पाठकों को सौंपते विचार-मासिक हए हमें विशेष हर्ष है। प्रज्ञा-पुरुष श्रीमद् राजेन्द्रसूरीश्वर की अनन्य ज्ञान-गरिमा और सद्विचार की दुर्द्ध र आध्यात्मिक साधना के प्रति हमारी वर्णमाला में यह एक अकिंचन श्रद्धाञ्जलि है। इसके पाँच खण्ड हैं : जीवन, परिशिष्ट, शब्द, पार्श्वसदाचार का वर्द्धमान , धर्म-संस्कृति । प्रत्येक खण्ड में प्रवर्तन हमने यथासम्भव प्रचुर सामग्री समेटने का विनम्र प्रयास किया है और उपलब्ध समस्त वर्ष ५; अंक २-३ साधन-स्रोतों का अधिकाधिक वैज्ञानिक दोहन किया है। जीवन-खण्ड के “राजेन्द्रसूरिजून-जुलाई १९७५ जीवन-वृत्त" तथा शब्द-खण्ड के “सम्पूर्ण राजेन्द्रसूरि-वाङमय” और “अभिधानश्रीमद्विजयराजेन्द्रसूरीश्वर राजेन्द्र : तथ्य और प्रशस्ति' शीर्षकों के विशेषांक अन्तर्गत हमने लगभग सभी जानकारियों का अत्यन्त वैज्ञानिक आकलन-संयोजन किया है। संपादन तथ्य-दोहन-मन्थन के दौरान देखा गया कि डा. नेमीचन्द जैन श्रीमद् पर अभी तक जो कार्य हुआ है, वह भावनापरक है, भक्ति की हल्की-सी धुंध उस पर छायी हुई है और इसीलिए तथ्यों को जिस प्रबन्ध उत्साह के साथ प्रकट होना चाहिये, नहीं प्रेमचन्द जैन हो पाये हैं। अतः हमने यत्न किया है कि सम्बन्धित तथ्यों की निर्मम तलाश की जाए सज्जा और राजेन्द्रसरिजी के कृतित्व को उसके विष्णु चिचालकर यथार्थ भा-मण्डल में प्रस्तुत किया जाए ताकि पाठकों के साथ. न्याय हो सके। मुद्रण अकेले “अभिधान-राजेन्द्र" और उसका नई दुनिया प्रेस, इन्दौर संक्षिप्त रूप “पाइयसइंबुहि", जो लगभग पौन शताब्दी से प्रकाशन की प्रतीक्षा कर रही वार्षिक शुल्क : दस रुपये है और जिसके कुछेक पृष्ठ हमने इस विशेषांक प्रस्तुत अंक : सात रुपये के जीवन-खण्ड में प्रकाशित भी किये हैं, विदेशों में : तीस रुपये सूरिजी के अदम्य पुरुषार्थ और अद्वितीय विद्वत्ता का द्योतन करते हैं । दुर्द्धर साधुचर्या हीरा भैया प्रकाशन के साथ इतना प्रचर लेखन, सच में, अचम्भे में डालनेवाला है। इस दृष्टि से अभी सूरिजी ६५, पत्रकार कालोनी के कृतित्व का वस्तु-परक और सम्प्रदायातीत कनाड़िया रोड मूल्यांकन-कार्य शेष है; हमें विश्वास है, इसे इन्दौर ४५२ ००१ (मध्यप्रदेश) । पूरे सामाजिक बल और सांस्कृतिक पुरुषार्थ के साथ सम्पन्न किया जाएगा। दूरभाष : ५८०४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520602
Book TitleTirthankar 1975 06 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1975
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size4 MB
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