SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भारतीय संस्कृति और श्रमण परम्परा (डा. हरीन्द्रभूषण जैन द्वारा लिखित श्रमण संस्कृति को इतिहास और अनुसंधान के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने वाली यह एक प्रमाणिक पुस्तक है; छोटी किन्तु तथ्य की धनी एक महत्त्वपूर्ण कृत्ति है), मेरठ, १९७३ । वीर निर्वाण विचार सेवा (मुनिश्री की प्रेरणा, प्रोत्साहन और आशीर्वाद से श्री वीर निर्वाण ग्रन्थ प्रकाशन समिति, इन्दौर के अन्तर्गत कार्यरत यह अखिल भारतीय विचार सेवा (फीचर सविस) विविध धार्मिक अवसरों और पर्वो पर जैन-जैनेजर विद्वानों से सपारिश्रमिक सामग्री तैयार करना कर पत्र-पत्रिकाओं में निःशुल्क प्रकाशनार्थ वितरित करती है। इसके द्वारा प्रसारित सामग्री को मराठी तथा गुजराती पत्रों ने भी अनुवाद के रूप में प्रकाशित किया है। इसके ‘पर्यषण-अंक' और २५०० वां वीर-निर्वाण महोत्सव संदर्भ में एक दिशादर्शन : कार्यक्रम और आयोजन-अंक काफी लोकप्रिय हुए हैं ), इन्दौर, १९७२ । सुसंगीत जैन पत्रिका (इसमें जैन संगीत को लेकर बड़ी मौलिक और खोजपूर्ण सामग्री है । वास्तव में जैन संगीत को लेकर इतना अच्छा संकलन अब तक देखने में नहीं आया। इसमें कई लेख अनुसंधान की निधि है। पत्रिका की एक बड़ी विशेषता यह है कि इसने अपने अन्तर्भारती स्वरूप के कारण अखिल भारत की जैन प्राणधारा को एक सूत्र में पिरो लिया है), श्रमण जैन भजन प्रचारक संघ, दिल्ली, १९७० । तीर्थंकर वर्द्धमान महावीर (मुनिश्री के मार्गदर्शन में पद्मचन्द्र शास्त्री द्वारा प्रस्तुत भगवान् महावीर के जीवन पर पहली बार अत्यन्त प्रामाणिक तथ्यों पर आधारित पठनीय सामग्री तथा प्राचीन प्रतिमाओं के दुर्लभ चित्रों से युक्त कृति), इन्दौर, प्रकाश्यः १९७४ । ०० ज्ञानी ज्ञान और वैराग्य के दो तटों में घेरकर जीवन-नदी को मोक्ष-समुद्र तक पहँचाने में प्रयत्नशील रहता है। उसने निर्मल जल में संस्कृति के कमल खिलते हैं। उससे स्पर्श कर जो पवन गुजरता है, वह शीतलता से भर जाता है। उसके तटों पर जो बीज गिरते हैं, उनके छायादार वृक्ष बनते हैं और उसके पास प्यास लिये अंजलि बढ़ाता है, उसे अमृत पीने को मिलता है। -मुनि विद्यानन्द तीर्थंकर / अप्रैल १९७४ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520601
Book TitleTirthankar 1974 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1974
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy