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________________ लाभ उठाना चाहिये। हिमालय वह स्थान है जहाँ देश की भावात्मक एकता के दर्शन होते हैं। देश-भर के स्त्री-पुरुष यहाँ अपनी-अपनी धर्म-भावना लेकर आते हैं और पूरे देश का एक सुंदर चित्र प्रस्तुत करते हैं।" उन्होंने कितने ही पर्वतीय स्थानों का भ्रमण कर यह अनुभव किया है। मुनिश्री संगीत के भी प्रेमी हैं, वे संगीतकार, कलाकार, कवि-साहित्यकार का समादर करते हैं, स्वयं भी अच्छे साहित्यकार हैं। 'महावीर-भक्तिगंगा' में उनके संगीत-प्रवण हृदय की लय सुनायी देती है। हिन्दी में उन्होंने अनेक पुस्तकों का प्रणयन किया है, जैनधर्म को आधुनिक परिवेश में फिट करने का सफलायास परिलक्षित होता है। एक साहित्यकार के रूप में उनकी जागरूक एवं सूक्ष्म दृष्टि समाज और देश की हृदय-गति को पकड़ती चलती है। एक राष्ट्र-संत, एक विश्व-सन्त निःसंदेह आज जीवन के प्रतिमान परिवर्तित हो गये हैं। मनुष्य की सात्विक प्रवृत्तियाँ भौतिक ऐश्वर्य की चकाचौंध में सम्यक्त्व को देख नहीं पा रही हैं। ऐसे समय मुनिश्री का जीवन जो एक खुली पुस्तक है; उसका अवलोकन करना चाहिये । उनमें अदम्य साहस है और एक 'मिशनरी स्पिरिट' है। त्याग, तप, संयम, शौच, अपरिग्रह आदि उत्तम गुणों को अपने आचरण में उतारने वाले मुनिश्री भगवान महावीर के सच्चे, निष्ठापूर्ण संदेशवाहक हैं। उनका जीवन पावन सुरसरि के सदृश सभी को बिना रंग-भेद या सम्प्रदाय-वर्ग-भेद के समान रूप से पवित्र करने वाला, कलुषहर्ता है, पापमक्त करने वाला है। राष्ट्रसन्त मुनिश्री की जीवन-दृष्टि में हिमालय की उच्चता, आकाश की व्यापकता और सागर की गम्भीरता समाहित है। वे जीवन और देश की आधनिक समस्याओं का समाधान जैनधर्म के परिवेश में खोजने वाले राष्ट्र-सन्त हैं और एक विशाल विश्व-धर्म की स्थापना में दत्तचित्त विश्वपुरुष के रूप में ऊर्ध्वगामी हैं। 00 __ भोगों की लालसा एक अन्नहीन मृगतृष्णा है। इसमें भटके हुए को पानी नहीं मिलता । मन ष्य को चाहिये कि वह जितना शीघ्र इस प्रदेश से निकल सके, निकल जाए; और उस सरोवर की खोज करे जिसमें निर्मल जीवन हो। -मुनि विद्यानन्द मुनिश्री विद्यानन्द-विशेषांक ८१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520601
Book TitleTirthankar 1974 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1974
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size5 MB
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