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________________ के कैलाश और गरीबी के पाताल के बीच पटरी कैसे बैठे ? रक्ताभ क्रान्ति में आस्था रखने वाली हिंसा के माध्यम से, या महावीर की अहिंसा और अपरिग्रह की राह से। सचाई यह है कि हिन्दुस्तान की सरजमीं पर अहिंसा की सांस्कृतिक विरासत के सामूहिक पुनर्जागरण और अपरिग्रह की आर्थिक कलमबन्द कानूनी संरचना एक शक्तिशाली सक्रिय अहिंसक राष्ट्र को जन्म दे सकती है। भगवान् बुद्ध का व्यष्टि और समष्टि के निर्माण का नारा था : “धम्मं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि, बुद्धं शरणं गच्छामि" । समाजवादी क्रान्ति-दृष्टा स्वर्गीय डा. राममनोहर लोहिया ने अपने दल के कार्यकर्ताओं से एक बार कहा था: “अब बुद्ध के इस उद्घोष में क्रमिक परिवर्तन कर हम यों कहें-"बुद्धं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि" । नारे को इस तरह पलटने से डा. लोहिया का आशय था "बुद्धि से स्वीकार संस्था में आओ और फिर समाजवादी समता-धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित हो जाओ।" "सारे धर्मों को त्यागकर एकमात्र मेरी शरण में आ"-अपने युग के क्रान्तिकारी नेता कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उक्त कर्त्तव्यवोध उनके “कर्म ही तेरे अधिकार में है उसका फल नहीं” की निष्काम भावना से जुड़ा हुआ है। कुल मिलाकर पुराण, बुद्ध और महावीर ने अपने-अपने युगों में तत्कालीन सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परम्पराओं और प्रथाओं के चलते एक नयी वैचारिक क्रान्ति के बीज डाले और कुछ ऐसी प्रक्रिया अपनायी मानो प्राचीन का क्षय और नवीन का जन्म प्रकृति का ही कोई चिरन्तन नियम हो । अस्तित्वहीन होकर अस्तित्व देना, जमीन में दफनाये बीज से नये बीज को अंकुरित करने जैसा विलक्षण, तथापि स्वाभाविक कुछ है; काश, आज का युग महावीर की अहिंसा और अपरिग्रह की नींव पर हिंसा और परिग्रह को दफना कर स्नेह, सौहार्द, समता और समन्वय के बीज अंकुरित करने के लिए एक सामुदायिक करवट ले सकता । मेरा विश्वास है, प्रतीक्षित क्रान्ति का मसीहा कृष्ण, महावीर, बुद्ध या गांधी नहीं वरन् जन-जन की अन्तश्चेतना का सघन और सामूहिक प्रकटीकरण ही होगा। 00 मुनिश्री विद्यानन्द-विशेषांक १६५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520601
Book TitleTirthankar 1974 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Jain
PublisherHira Bhaiyya Prakashan Indore
Publication Year1974
Total Pages230
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Tirthankar, & India
File Size5 MB
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