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अनुसन्धान-७९
चीणीना चंदरूआ चोखा, मकबलना मन मोहिजी, गुखि गुखि झलमलि झलकंती, उपेर झुमण सोहिजी. २५९ अगर अबीर सुगंध मइमहइ, चुआ चंदन चंगजी, कुंकुम केसर करी छांटणां, सहसवीर पारख्य राखइ रंगजी. २६० साढा पांचसि मुनी माजनि, पंडित पंच्यासी कहीइजी, वाचक पांच वडा विद्यावंत, विमलहर्षसुं लहीइजी.. २६१ संघ चतुर्विध संपि मलीउ, महउछव करवा काजिजी, श्रीआचारय नीज पटि थाप्या, श्रीविजयसेनसुरीराजिजी. २६२ देइ वांदणा चरणे संघ साथि, सुरीमंत्र ते दीधउजी, श्रीआचारज्य अधिकउ महिमा, देसि देस परसीधउजी. २६३ महामहउछवि हवां वांदणां, पाटण नअर मझारजी, सहसवीर पारखि ए जस लेइ, मानव भव करउ सारजी. २६४ श्रीविजयदेवसुरीसर केरू, रास रचउ रंग-राजजी, भणतां सुणतां गुणतां भावि, लहीइ पछी लाजजी. पंडित श्रीसौभाग्य-सीसिं, जुगप्रधान गुण गायजी, वीद्यागुरु वसेष वइरागी, प्रणमी जनानंद पायाजी.
२६६ साहापुर सांतिजिणंद सानधि, अनुक्रमई जे लहउजी, तेह संबंध मइ ए मांहि आणउ, नीज बुधि नवि कहउजी. २६७ रंगराज ए रास रसाल, नाम सुणउ सहु कोइजी, श्रीविजइदेवसुरीसर केरू, भणतां नव नधि होइजी. २६८ आधु पार्छ जे पद आवं, ते सोधी सुध करवूजी, पंडितजन तुम्ह पाए लालुं(गुं), ए चीतमांहि धरकुंजी. २६९ संवत सोल चउसि(स)ठा (१६६४) वरषि; महा सुदि एकादसी सारजी गुरुगुण गाया मइ मति सारू, सुणज्यो सहु नर नारजी. २७० श्रीविजइसेनसुरीसर पटि, विजयदेव गणधारजी, कनकसौभाग्य प्रभु ध्यान धरंतां, लहीइ सुख अपारजी. २७१
॥ इति श्रीविजयदेवसुरी-रंगरतनाकर रास सम्पूर्णम् ॥ । ॥ लिखितं कृतं साहापुर वीजापुरनअरे ॥ शुभं] भवतं ॥श्री।।