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________________ उपाध्यायश्रीयशोविजयप्रणीत: श्रीउदयपुरस्थित श्रीसुपार्श्वनाथस्तवः॥ - सं. मुनि धुरन्धरविजयजी महोपाध्याय श्री यशोविजयजी दार्शनिक, तार्किक, शास्त्रकार, ग्रन्थकार एम विविध रूपे आपणे त्यां जेम जाणीता छे, तेम कवि तरीके पण तेओ खूब प्रख्यात छे. तेमनी कविताओमां भाषागत, छन्दो तथा अलङ्कारादिनुं वैविध्य तो ध्यानपात्र छे ज, पण ते कवितामा सहजपणे प्रगटतो-विलसता प्रसाद अने माधुर्यना गुणो पण विशेष ध्यानार्ह होय छे. __ तेमनी कृतिओनी संख्या केटली ते नक्की करवू शक्य नथी. अगणित नानी-मोटी रचनाओ प्रकाशमां आवी छे, छतां हजी अवारनवार क्यांक ने क्यांकथी तेमनी अप्रगट रचनाओ मळी ज आवे छे. प्रस्तुत रचना पण आवी ज एक नवी रचना छे. एक १७३०मां लखायेलो गुटको मारा संग्रहमां छे. बेठा बेठा तेनां पानां फेरवतां अचानक ज आ स्तुतिकाव्य दृष्टिमां आव्यु. शुद्ध अने मधुर काव्यरचना, ते पण यशोविजयजीनी, जोतां ज हैयुं प्रमुदित बनी गयु. प्रथम पद्यनी प्रथम पंक्तिमां 'उदयपुर' अने चोथी पंक्तिमां 'सुपार्श्वनाथ' ए बे नामो जोवा मळे छे, तेथी अनुमान थाय छे के पोते उदयपुर विचर्या हशे, त्यारे त्यां बिराजमान प्रभुनी स्तवना करी हशे. स्तोत्रपाठ शुद्ध छे, पडिमात्रा-लिपिमा लखेल छे. आ गुटको श्रीऋद्धिविमल नामना मुनिराजे लख्यो छे. लेखननी शुद्धि जोतां तेओ सारा विद्वान होवानी प्रतीति मळे छे. उदयपुरना ते समयना दीवान मानसिंह महेताने माटे आ गुटको लख्यो छे. तेमां विविध स्तुति-स्तोत्रादि उपरांत प्रतिक्रमणनां सूत्रो विधिसहित लखेलां छे. सं. १७३०मां लखायेलो आ गुटको उपाध्यायजीनी विद्यमानतामां ज लखायो गणाय.
SR No.520581
Book TitleAnusandhan 2020 02 SrNo 79
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2020
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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