________________
जान्युआरी - २०२०
भवियां भावई नितु नमउ ए मा०, श्रीगुणदेवहसूरि तासु सीसई रास रच्यउ [ए] मा०, श्रीगुणरत्नहसूरि ॥३१३।।
पनर एकत्रीसइ मगसिरई ए मा०, ऊजली बीज गुरुवार → रास रच्यउ सिद्धचक्रनउ ए मा०, गायउ श्री नवकार - ॥३१४॥
एक मना जे जिन जपइ ए मा०, तेह घरि मंगलमाल रिद्धि अनंती भोगवइ ए मा०, जिम भूपति श्रीपाल ॥३१५।। इति श्री सिद्धचक्र स्मरण माहात्म्योपरि श्रीपाल रासः संपूर्णः ॥ संवत १६९९ वर्षे श्री आश्विन सुदि सप्तम्यां श्री राजद्रंगे
लिखितः ॥ शुभमस्तु लेखक पाठ[क]योः ॥
१०६. इतिश्री श्रीपालरास संपूर्ण । संवत् १७६९ वर्षे चैत्रशुदि त्रयोदस्यां भौमवासरे । श्रीः ॥