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________________ जान्युआरी - २०२० महुअरि मालंयना गुण ध्याय, गयवर "मन वंध्याचलि जाय मयणसुंदरिस्युं जेहवी प्रीति, तेहवी अवर न आवइ चीति ॥२३६॥ साथि तेडी छइ सवि नारि, थई आकासि पुहतउ घरबारि आई वेगि ऊघाडउ बार, तुम्ह सेवक १०० जिम करइ जुहार ॥२३७।। मयणसुंदरि रोमंची देह, बाई तुम्ह सुत साद ज एह । कमला रंगि ऊघाडइ बार, जणणि आलिंगी करइ जुहार ॥२३८|| वहूअर लागी सासू पाय, मिलीया अंतेउर माहोमाहि मयणसुंदरि पटराणी कीध, भला आभरण वस्त्रेवर दीध ॥२३९॥ राणी सवि हुं साथि राय, दीस अणूगत जीय दलि जाय । हूयउ प्रभात ऊग्यउ जगि भाण, बंदीजन सवि करइ कल्याण ॥२४०॥ सेनानी तेडाव्यउ राय, वेगिं करी मलावउ वार गयवर गडु तुरी पाखरउ, उजेणी गढि ढोउ करउ ॥२४१॥ जण मोकलावी कराव्युं जाण, जउ ए मांनइ माहरी जा(आ)ण कंधि कुहाडइ आवी मिलइ, तउ अम्ह सेना पाछी वलइ ॥२४२॥ दूत भणइ सुणि पुहवीपाल, अम्ह स्वामी वयरीनउ काल कंधि कुहाडइ आवी मिलइ, तउ दल अम्हारं पाछु वलइ ॥२४३॥ राय भणइ म लावउ वार, कवण करावइ जीव सिंहार खंधि कुहाडउ करी भूपाल, कटकि जई भेट्यउ श्रीपाल ॥२४४॥ साम्हउ ऊठ्यउ रायांराय, ससरानइ तिहां करइ पसाय नंखाव्यउ आयुध जे खंधि, बिहुं नरेसर हुई संधि ॥२४५॥ मयणा कहइ सांभलउ मर्म, जोअउ आम तात मुझ कर्म कुहाडउ राय ऊतारइ आज, ओलखीयउ अवर (अंबर) वरराज ॥२४६॥ चीति चमक्यउ पुहवीपाल, देखी कुमरी रिद्धि ड(झ)माल मयण मिलेवा नाटक रंगि(ग), तेड्या पात्र अछइ जे चंग सो लही चरणा सवि कडि कसइ, नारि एक तिहां पाछी खिसइ ॥२४८॥ ९८. माइतणा । १००. बेटो। ९९. गयवर चडी चलिओ जव जाई । १०१. वस्तु ।
SR No.520581
Book TitleAnusandhan 2020 02 SrNo 79
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2020
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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