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जान्युआरी - २०२०
राउल जईनइ गायइ गीत, रायतणुं तिहां हरीयं चीत भूपति तूडउ आपइ दान, न लीयइ गायन मागइ मान ॥१६६॥ तम्ह जमाई हार्थि आज, बीडु मया करउ महाराज सीपा वयण७२ जोई वसुंपाल, बीडुं देवा गयउ श्रीपाल ॥१६७॥ सीपा बीडु देवा लग्ग, गायन सगला कंठि विलग्ग एक भणइ ओलखीयउ पुत्त, एक भणइ वलीयउ घरसूत्र ॥१६८।। एक भणइ भाई तुं भलउ, किम देसाउरि गयउ७५ एकलउ एकई माया मांडी मांड, श्रृंगट करी बइसारी रांड ॥१६९।। रहि रहि पुत्र हिवई घरमाहि, कुंअर बइसार्यउ झाली बांहि अचरिज देखी चिंतइ भूप, ए कांई तां दैव स्वरूप ॥१७०॥ कोपि चढ्यउ बोलइ महाराज, हिलउ बंभण दंडं आज ए वरनी जउ वाटुं कली, केहना कुल नवि बोलइ वली ॥१७१।। मरकलडइ बोलइ नीसंक, क्षत्री बोल न बोलइ वंक भड देखी मुझ द्यउ संग्राम, जिम संभालु कुलनुं नाम ॥१७२।। वली वयण एक अवधारी, आवी मुंगि अछइ बे नारि थोडामाहि घणुं तुझ कहुं, ते तेडीनइ पूछे सहू ॥१७३।। भूपति वेगि तेडावी नारि, विद्याधरि बोलइ सुविचारि अंगदेस सिंहरथ भूपाल, कमलानंदन ए श्रीपाल ॥१७४॥ पूरव वात सुणावी सहू, नरपति अम्हे एहनी वहू ततखिण राय बंधाव्या डुंब, केहy काम कहुं रे संब० ॥१७५।। स्वामी धवल अछइ वाणीयउ, पापी सवि हुं धुरिं जाणीयउ धन आपी कराव्युं इस्युं, हिव कूड़े. बोलीस्यइ किस्युं ॥१७६।। खीज्यउ क्षत्री आणइ खेस, रोस चढ्यउ राय द्यइ आदेस राय दूत तव धाया धसी, धवल आणइ बहु बंधणि कसी ॥१७७॥
७२. नयण । ७४. समकाल । ७६. बूंघट । ७८. बौलै बोल विवेक ॥
७३. व्याल । ७५. आविओ। ७७. हुं। ७९. तेडी।
८०. भुंड ।