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________________ जान्युआरी - २०२० ३७ मास वैसाख दसमि ऊजली, पहुर पाछिलउ सुणिज्यो वली सायर तटि सि(सु)तुं वनमाहि (ह्य), ते वर बेटी होसइ राय ॥१४१।। जोसी वयण मिल्यां अम्ह आज, ए बेटी परणो वरराज वारु लगन मिली वसुपाल, परणाव्युं कुंअर श्रीपाल ॥१४२।। राय भणै लिओ काइ काज, थई आयत पद द्यउ महाराज जेहनइ तूठउ आपइ मान, तु(मु)झ पाहिइ अपावे पान ॥१४३।। निसुणओ धवलतणी हिव कथा, जं जं मांडइ तं तं वृथा कुंअर नांख्यउ पाणी पूरि, पछई माया मांडी भूरि ॥१४४॥ कूटइ पीटइ रोवइ रडइ, नीलक(ज) निंदक [हसें] हीयडइ सीपा नारि सुणावी वात, कंत तुम्हारो हूयउं जलघात ॥१४५।। ॥ राग - सिंधूडउ ॥ प्रीयु प्रीयु करि मयणा रडइ, सुणिए वालंभ देव अधविचि छोडी किहां गयओ, ग(गु)ण कहु तुम्ह देव, प्रीयु० आंचली ॥१४६॥ अम्हे अबलानइ एकली, छोडी का निरधार नेह खंडी तुं किहां गयउ, हा हा प्राण आधार ॥१४७॥ प्री० । चउरी माहरी ते चडी, आप्पउ जिमणउ हाथ नाह बोल नवि पालीयउ, न्याय नही नरनाथ ॥१४८॥ प्री० । कमला माडी जोइसइ, वाट तुम्हारी देव अम्हे देसाउरि नांखीआ, तिण झूरेवू हेव ॥१४९॥ प्री० । दैवि रे सरज्यां वज्रमइ, कीजइ किस्युं विनाण अम्हपे ही दादुर भला, मेह सरीसा प्राण ॥१५०॥ प्री० । पीहर परतटि सवि रह्यां, कुण करस्यइ हो जाण बलवंती प्रमदा भणइ, दैवइं मिलीया रे मा(प्रा)ण ॥१५१॥ प्री० । पूरव पुण्य पसाउलइ, मिलस्यइ तुम्ह कंत अंतराय अणभोगव्यइ, नवि छूटइ हो जंतु(त) ॥१५२॥ प्री० । ६७. दांन । ६८. ठाण ॥
SR No.520581
Book TitleAnusandhan 2020 02 SrNo 79
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2020
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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