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________________ ३६ अनुसन्धान-७९ गजवडी पहिरिय पालीय, बालीय योवनमत्त रे धवल निहाली नारिनइ, आरति पडीयउ चित्त रे भूख नइ तरस बेऊ गई, नयणडे नाठी नींद रे सारथपति सुख वीसरयुं, जब लगइ ते स्त्री दीठ रे ॥१३१॥ च्यारि प्रधान बोलावीया, आवीया धवलनइ पासि रे गुप्त बोल मनि राखज्यो, करज्यो काम विमासि रे एकलडउ वाहणि चड्यउ, जोय न एहनी रिद्धि रे स्त्रीय रयण मारी लीयउ, करउ अम्हारी बुद्धि रे ॥१३२॥ त्रिणि मंत्री बोली गया, तुझ मुख दीठडइ पाप रे एक पापी बइठउ राउ, तीणइ मंड्यउ व्याप रे प्रीति करीनइ नितु नमइ, म करिसि केहनी लाज रे वीसासीनइ मारिज्यो, पछई तम्हारडुं राज रे ॥१३३॥ ॥ चउपई ॥ कपटबुद्धि मांडी धुरि धवलि, प्रीति वधारइ रही नितु जमलि जलमाणसुं जाय रे जाय, वेगि जोवा आव्यओ राय ॥१३४॥ कुंअर कौतुक चढीयउ दोरि, तुं आव्यउ वयरीनइ होरि काप्पउ दोर मांची ऊघडइ, नवपद जपतउ सायर पडइ ॥१३५॥ जलतरणी औषधी प्रमाणि, मगरि मुंक्यउ कंकण तटि आणि धोई अंग आरोग्युं नीर, तरुअरि छाया पउढ्यउ वीर ॥१३६।। जां जागइ तां देखइ जाण, आगलि भाट करइ कल्याण पाखलि सुहड न लाभइ पार, विनय करइ नइ करइ जुहार ॥१३७॥ पायक भणइ सांभलि तुं बाल, अम्हे पाठवीआ राय वसुपालि(ल) । वेगई तुरी पल्हाणउ हेव, स्थाननयरीपति भेटउ देव ॥१३८॥ चपलि चढी आव्यउ श्रीपाल, साम्हउ ऊठ्यओ राय वसुपाल आसण बइसण देई भणइ, जोसी एक अछइ अम्हतणइ ॥१३९।। बांभण बइसारी घरमाहि, पूछी वात एक ऊछाहि मयणमंजरि बेटी मुझ सार, कहओ कुण होस्यइ तसु भरतार ॥१४०॥
SR No.520581
Book TitleAnusandhan 2020 02 SrNo 79
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2020
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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