SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 40
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जान्युआरी - २०२० ३३ पायक सवि राख्या श्रीपालि, वाहण आध लीयां संभालि तिहां बोलइ बाबरनउ धणी, स्वामि संभाल करउ अम्हतणी ॥९६।। ते तउ पुहतउ नगर मझारि, लीलावंत वयण अवधारि मदनसेना अम्हारी धूअ, पगि लागी परणावं तुंअ ॥९७॥ कुंयर भणइ कुल न्याति न ठाम, तुम्हे न जाणउ अम्हारुं नाम राजहंसनु को कुल कहइ, लक्षण देखी सहु इम कहइ ॥९८॥ मदनसेना परणी उच्छाहि, जुंग एक दीधुं नरनाहि रयण कनक पूरित भंडार, आप्यउ सोहलानउ परिवार ॥९९।। वा[ह]ण ठवी पहिराव्या वी(ची)र, संप्रेक्ष्या सायरनइ तीरि(र) मोकलावी वलियउ महाकाल, वाहणि चढी चाल्यउ श्रीपाल ॥१००॥ समुद्र उलंघी आव्या पारि, पहुता रत्नद्वीप मझारि सेठई तिहां वीनवियउ कुमर, तुम्ह वाणउत्र करउ को अवर ॥१०१॥ सुणीउ वयण कुमर तब हस्यउ, अम्ह तुम्ह अंतर कीजइ किस्यउ आवी बइसइ सायर तीरि, नितु नाटक करावइ वीर ॥१०२।। कुमर सभा आव्यउ नर एक, जाणे मूर्तिवंत विवेक करी प्रणाम बइठउ बुधिवंत, श्रीपाल आगलि कहइ विरतंत ॥१०३॥ आ चारु विद्याधर ठाम, रत्नसंचय नगरीनुं नाम कनककेतु तिहां पालइ राज, अमर सवे आणइ जस लाज ॥१०४॥ कनकमाला पटराणी सार, जाणे रंभ तणउ अवतार बेटी मयणमंजूषा जिसी, रूपइं नारि अवर नही तिसी ॥१०५॥ रौय विहार कनकमय [उत्तुंगे, आदिल बिंबं कनॅकमय चंग कनककेतु ठवीयुं सय हाथि, चउविह संघ मिली नर नाथि ॥१०६।। एकदिवस राजा नंदिनी, महापूज कीधी जिनतणी पूजानउ हुयउ अतिरोक, कौतुक जोवा मिलीया लोक ॥१०७॥ आव्यउ कनककेतु भूपाल, जोवा बेटी भक्ति रसाल ५६. कीयो। ५८. रतनमय । ५७. रंग । ५९. विसाल
SR No.520581
Book TitleAnusandhan 2020 02 SrNo 79
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2020
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy