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जान्युआरी - २०२०
अझ(ड)यल्ल[च्छंद] कुप्पउ केसरि कोई करि झल्लइ, विसहरजीहइ को करि झल्लइ का (हा)लाहल ऊयरि को झल्लइ, दुज्जण सीपु किम को झल्लइ ॥७७||
॥ चउपई ॥ असि काढीनइ ऊठउ वीर, पायक सवि ऊतारवू नीर दयावंत पापभुई बीहइ, नाक कान ऊतारी लीइ ॥७८॥ साहमी कोइ न मांडइ मुंठि, भाजी दल देवारिउं पूठि ऊभु रही ए रणि बोलइ धवल, नामइ सीस जोडी करकमल ॥७९॥ क्षमा करीनइ कोप वीसारि, मुझ वाहण तुं आवी तारि सोवन लाख कुंअर कहइ तीरि, तुझ वाहण चलावू नीरि ॥८०॥ सेठई मान्यउ लाख सोवन्न, बिहु जणस्युं मनाव्यउ मन्न बोलबंध करी बहु भेअ(उ), वडइ जंगि जई चडीआ बेउ ॥८१॥ नवपद समरी मुंकी हाक, तरीया वाहण वाजी ढाक चमक्यउ धवल कहइ सुणि वात, ल्यइ ग्रास अम्ह उलगि रात ॥८२।। आप्पउ ग्रास अम्हनइ करिकमल, दस सहस पायक नीज मलि सेठ भणइ अम्ह नथी काज, भाडं देइ चढउ नरराज ॥८३॥ रत्नदीव भणी मुंक्या मूलि, जई लागां बाबरनइ कूलि लेई सुहड धवल ऊतरइ, ईधण पाणी लोक तिहां भरइ ॥८४॥ बाबर देस धणी महाकाल, दाण लेवा आव्या समकाल सारथपति सहजई अबूझ, महीपति सरिसुं माडि झूझ ॥८५॥ बाबरनुं दल देखी पूरि, सेठ तणा भड नाठा दूरि। बांधी धवल लीयउ संघाति, ततखिण बोलाव्यउ श्रीपाल ॥८६।। धवला तुं बाबरीयइ बाध, जउ वाहण अम्ह आपउ आध
हिवडां कापुं ताहरा बंध, वयरी नाद ऊतारुं खंध ॥८७।। ४४. विष कर ॥
४५. साप को ॥ ४६. को कर ॥ ४८. देवरावी ॥
४९. नायमल ॥ ५०. महाकाल ॥
लेई सुहड धवल मह
४७. भय ॥