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________________ ओक्टोबर - २०१९ ---- ---- ---- ---- ---- आभ तणो नही नीर नही कछु माणस भरीयो, --- सदा सनूरो अछ कछक सगलां ही सिर हथ सहे, इम आखे सिगरामसुत, पात सरोवर नाम कहे. [श्रीफल ?] सजडु न संकरू सीअहरू लंकाहिवइ न होइ । एह हीयाली पंडिआ विरलउ जाणइ कोइ ॥ [कंबल] असद दुण च (?) नरनार रहै सब आप सुरंगी; चलण विना फिर चलै चिरत बोह करै सु चंगी; पुरष मुरटतिणपत(?) च्यार ले ओर चलावे, करै रांड बोहकोड(?) वडा नरनार चिढावै, न न फोज नेज आवध नही, मरजीवै फिर फिर भरै कव(वि) करो अरथ सकरो कहे, कैसी नार भारथ कर. [?] प्रहेलिका : पाण्डवानां सभामध्ये दुर्योधन उपागतः । तस्मै गां च हिरण्यं च सर्वाण्याभरणानि च । (क्रियागुप्त)[०ध्येऽदुः] नदन्ति वाजिनो द्वारे, परा भूतिः प्रजायते । सदातुष्टेन ते राजन् शत्रूणां स्यादिति स्थितिः ॥ ___(सदाऽतुष्टेन) (न दन्ति०) [पराभूतिः = पराभवः] पर्वताग्रे रथो याति, भूमौ तिष्ठति सारथिः । चलते वायुवेगेन पदमेकं न गच्छति ॥ [कुलालचक्रम्] किं जीवियस्स सारं, का भज्जा होइ मयणरायस्स । किं पुप्फाण पहाणं परिणीया किं कुणइ बाला ॥ [सास रइ जाइ] चउवयणो नवि बंभो बहुसीसो नेव रावणो होइ । . सरणागयरक्खकरो भामो नहु होइ जाणेह ॥ [दुर्ग]
SR No.520580
Book TitleAnusandhan 2019 10 SrNo 78
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages98
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
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