SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 34
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ओक्टोबर - २०१९ २७ श्रीहीरविजयसूरी(रि) करी प्रसाद, टालेवा उद्धत-उनमाद३४, विसंवाद टालेवा काजि, बार बोल लिख्या मुनिराजि. ८० मार्गानुसारी शब्द लिखीत, सागर अर्थ करइ विपरीत, भविक जीव तुझे पूछउ एह, निश्चय करी टालओ संदेह. ८१ बोल-२६ सोमतिलकसूरि सूधा यती(ति), जेहनी सुमति गुपति दीपति, विचरंता आव्या जंघरालि, सकल जीवदया प्रतिपाल. ८२ श्रीजिनप्रभसूरइं सांभल्या, नगरमाहिं ते आवी मिल्या, कर जोडीनइं वांदी ताम, लेई आज्ञा बइठा एक ठामि. ८३ "स्तवन कोस" दीधओ तेणी वारि(र), छत्र दंडिका मंत्र ओदार२५, श्रीगुरु तास प्रसंसा कीध, तुझे प्रभावक पुरुष प्रसिद्ध. ८४ कीध प्रसंसा जेणइं एह, सागर कहइ अज्ञानी तेह, पूर्व सूरिनी निंदा करइ, ते ऊपरि सुमती(ति) किम ठरइ३६. ८५ बोल-२७ पाप कर्म कर्ता इणइं भवई, आलोइ तओ छूटइ सवे, भवांतरि आलोई नवि सकइ, अणघड(ट)तुं ए सागर बकइ.३७ ८६ ज्ञातासूत्र उ[व]वाई वृत्ति, श्राद्धविधि भावो एक चित्ति, सूत्रवृत्ति विघटाडइ सही, तास वचन पणि घटतुं नही. ८७ बोल-२८ ग्रंथ विरोधी कुमतकुद्दाल, बोलिओ३८ जलमाहिं असरालि२९, श्रीविजयदान गुरु कीधुं सही, सागर कहइ तस समकित नहीं. ८८ केवल अरथी कीरति तणउ, माया कपट तणउ अंस घणउ, तेणइं कपटइं लोक पडीओ बहू, जे देखइ ते मोहइ सहू. ८९ जैनाभासमाहि० अति वडओ, सहू ए तास पख्य पडवडओ४९, श्रीहीरविजयसूरि परमदयाल, तेहनई सागर दइ इंम गालि. ९० बोल-२९ ठाणा (णांग) सूत्रनी वृत्तिं मझारि, "तव्वसेण य" पाठ ओदार, ते आश्री कहइ सागरमती, पाठ फेरविओ छइ असंयती. ९१ एह पाठनो लेखणहार, अछइ अज्ञानी वडउ गमार, एहवं कहिण४२ न कहिq घटइ, पूर्व सूरि वचन सवे मिटइ. ९२ विचारामृतसंग्रहमाहि, पूर्व सूरि वचन छइ त्यांहिं, पाठ एहनो जोयो मथी, एहनो भाव जणातउ नथी. ९३ बोल-३०
SR No.520580
Book TitleAnusandhan 2019 10 SrNo 78
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages98
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy