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जून - २०१९
श्रीपार्श्वनाथ जिननां स्तवनो विपुल प्रमाणमां लखायां छे. तेनो अनेरो महिमा गातुं, स्थळविषयक आ दीर्घस्तवन अमां उमेरारूप छे.
श्री पं. कुंअरसौभाग्यगणि आ ज हस्तप्रतमां, आना पछी, आ ज सालमां, अन्य दिवसे, श्रीलालविजय रचित दशार्णभद्रनी सज्झाय लखी होवानुं जोवा मळे छे.
श्रीपार्श्वनाथाय नमः शासनदेवीय मन धरी अ, गाउं पास जिणंद संखेश्वर पुर मंडणो अ, दीठे परमानंद ॥१॥ अश्वसेन कुलचंदलो ओ, वामा देवीय मात नील वरण सोहे सदाओ, लच्छन नाग विख्यात ॥२॥ जेहनो महिमा विस्तर्यो मे, जगमां[हि] अभिरांम संकट सवि दूरे टलें मे, जपतां जेहनुं नाम ॥३॥ मूरति मोहन वेलडी मे, जोतां त्रिपती न पामें हरखें नयणे निरखतां ओ, ओपम नविं आवें ॥४॥ मस्तक मुगट सोहामणो ओ, कांने कुंडल सोहें भाल तिलक दीपें भलो अ, रूपें जन मन मोहें ॥५॥ लोचन अमीअ कचोलडां अ, नास्या वंश सुचंग वदन कमल जीत्यो चंदलो अ, अधर प्रवाली रंग ॥६॥ आरी सम बहें कपोल [अ], भुज बेहु अनोपम रतन जडीत दीपें बेहेरखा ओ, तेज शशीहर रवि सम ॥७॥ हइडइं हिसें बहबही अ, श्रीवत्स सुचंग हार हीइं सोभे नवलखो , [अ] बीजो रे रंग ॥८॥ रतन जडीतें बिहु बाहडी ओ, वली फूलनी माल परिमल बहके कुसुमना अ, गुण गाई रसाल ॥९॥ आवें श्री संघ कुल द्या अ, करें पासनी खात्र भावैस्यु पूजा करें अ, करे नीरमल गात्र ॥१०॥
सुचग