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________________ ११८ अनुसन्धान-७७ केटलाक शब्दोना अर्थ पणासहा = नाश करनार अबीह = बीक विना दुःखरीव = (दुष्कृत्य ?) अणेख = अत्यंत परतखि = प्रत्यक्ष अगड = प्रतिज्ञा फासू = अचित्त पदार्थ सोकि = सपत्नी विखरो = विष सांती (सांतइ) = छुपावq तवना = स्तवना घुरथी = घेरा अवाजथी, हृदयपूर्वक झलफलीजी = आरडई = दुःखी थq, रडवू खागल खादरे = खाडा-टेकरा वित्रोट = त्रुटित, तोड्यां अ-कर = न करवा जेवां कुमणि = ? बालई = दुःखथी वलोयाई सयण = स्वजन हारेख = ? अलूणो = अ-रसिक छयल = रसिक पाखइ = विना पाखतीयां = आजुबाजु फरता हार = समान पंक्तिमां । छत्त = होवू ते अणहार = -ना जेवां, -ना जेवी देसाउर = देशावर भांघिर = अलग, जुदी ? निगमई आलई = निष्फळताथी पसार करे छे. जमवार = जीवनकाळ खोडि = क्षति खंति = क्षमाभाव, समभाव खुंप = माथा परनो शणगार खलकलो = रणकार करतुं अज्जव = आजेय ? खाणी = जीवयोनि (?) ऊभगी = निर्वेद अनुभववो पढावला = समजण ? सीझस्यइ = सिद्ध करे, सीझशे भंग छ वट्टण = छ पाटण (नगर)नो ध्वंस
SR No.520579
Book TitleAnusandhan 2019 07 SrNo 77
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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