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________________ ११३ जून - २०१९ ११३ पवनकुमर नारि अंजना रे हूआं बे गज आरूढ रे खलक लोगाई आगइ संचरी रे के पाछलि के वली गूढ रे... १८८ इम गहगहतां पुर मइ आवीयां रे मोहल मइ कीध प्रवेश रे । वाजानइ वधाइ केरां वाजीयां रे हरख्यो नगर नरेस रे.... १८९ जोउ अंजनानइ प्रीउडो मिल्यो रे वाध्यो हरख अपार रे ढाल छठी कही रंगमइ रे कवियण हर्ष धरंत रे... जोवा... १९० दहा पवनकुमर नइ अंजना मिलियां पुण्य प्रमाण दुःख भागो सुख उपनो घरि घरि हर्ष मंडाण... १९१ राय प्रह्लादन कुमर भणी सुंप्यो सघलो राज बापइ दीक्षा आदरी सगुरु समीप सुकाज... संयम पाली सुभ मनइ पुहतो स्वर्ग मझारि पवनकुमर सुख भोगवई राज रमणि सुखसार.. अंजना पटराणी करी दीधा अर्थ भंडार रमइ रली रसमालीओ नाना भोग प्रकार... राजनीति विधि साचवइ पालइ राज प्रचंड साधु संत प्रजा साचवइ दीइ अन्याइ दंड... चोर चरड नट विट जिके त्रासवी काढई मूल दाता कवि गुणवंतनइ दीठइ मन अनुकूल... इणि परि राजा आपणो, पालइ शुभ मति राज हिवइ भवियण इक मनि सुणो किणि परि सारइ काज १९७ ढाल : तुंगियागिरि शिखरि सोहई - ए देशी राग : कालहरओ वा परजिओ विचरता भूपीठ पावन विशुध तपजप काय रे पुर प्रह्लादन तणइ उपवनि आविआ ऋषिराय रे... साधु वाणी भवीक प्रांणी सांभलो चित्त लाय रे अनंत करमनी राशि त्रूटइ विमल आतम थाइ रे... १९८ १९९ साधु
SR No.520579
Book TitleAnusandhan 2019 07 SrNo 77
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2019
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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